13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Galwan Valley में भारतीय सैनिकों के साथ खूनी हिंसा में मारे गए थे 4 PLA सैनिक, चीन ने पहली बार बताया

Galwan Valley Clashes पिछले वर्ष जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के चार सैन्यकर्मी मारे गये थे. चीन ने शुक्रवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर इस बात को स्वीकार किया. चीनी सेना ने मारे गए सैनिकों के नाम भी जारी किए हैं. वहीं, चीनी सेना ने भारतीय सेना पर पहले हुए समझौते की शर्तो के उल्‍लंघन का भी आरोप लगाया.

Galwan Valley Clashes पिछले वर्ष जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के चार सैन्यकर्मी मारे गये थे. चीन ने शुक्रवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर इस बात को स्वीकार किया. चीनी सेना ने मारे गए सैनिकों के नाम भी जारी किए हैं. वहीं, चीनी सेना ने भारतीय सेना पर पहले हुए समझौते की शर्तो के उल्‍लंघन का भी आरोप लगाया.

चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने चीनी सेना के अखबार पीएलए डेली की एक खबर को उद्धृत करते हुए कहा कि देश के सैन्य प्राधिकारों ने दो सैन्य अधिकारियों और तीन सैनिकों को सम्मानित किया है. चीन की पश्चिमी सीमा की रक्षा करने के लिए उनमें से चार को मरणोपरांत सम्मानित किया गया है. पीएलए डेली के मुताबिक, काराकोरम पर्वतों पर तैनात रहे पांच चीनी अधिकारियों और सैनिकों को सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ऑफ चाइना (CMC) ने भारत के साथ सीमा पर टकराव में अपना बलिदान देने के लिए सम्मानित किया है. यह घटना जून 2020 में गलवान घाटी में हुई थी.

सीएमसी का नेतृत्व चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग कर रहे हैं, जो चीन में सत्तारूढ़ दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के महासचिव भी हैं. शिन्हुआ की खबर के मुताबिक, बटालियन कमांडर चेन होंगजुन को मरणोपरांत सीमा की रक्षा करने वाले नायक सम्मान से सम्मानित किया गया है. जबकि, चेन शियांगरोंग, शियाओ सियुआन और वांग झुओरान को प्रथम श्रेणी की उत्कृष्टता से सम्मानित किया गया. वहीं, झड़प में गंभीर रूप से घायल हुए क्वी फबाओ को सीमा की रक्षा करने वाले नायक रेजीमेंट कमांडर की उपाधि दी गई.

पीएलए के तीन सैनिक झड़प में मारे गये, जबकि एक अन्य जवान…

खबर के मुताबिक, पीएलए के तीन सैनिक झड़प में मारे गये, जबकि एक अन्य जवान जब अपने साथियों की मदद करने के लिए नदी पार कर रहा था, तभी उसकी मौत हो गई. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि इस रिपोर्ट का खुलासा लोगों को सच्चाई से अवगत कराने के लिए किया गया है क्योंकि सच्चाई का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था और लोगों के लिए यह जरूरी है कि वे सच्चाई को जानें. उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह बात कही.

जानिए आठ महीने बाद चीन ने इस बारे में खुलासा करने का क्यों किया फैसला

दरअसल, उनसे पूछा गया था कि चीन ने गलवान घाटी की घटना के आठ महीने बाद इस बारे में खुलासा करने का फैसला क्यों किया. भारत ने पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में हुई इस हिंसक झड़प में अपने 20 सैनिकों के शहीद होने की बात कही है. हालांकि, चीन ने भी अपने सैनिकों के हताहत होने की बात स्वीकार की थी, लेकिन अब तक संख्या नहीं बताई थी. हुआ ने कहा कि इन नायकों को हमेशा ही चीन के लोग याद रखेंगे. हमारे भूभाग की रक्षा करने के लिए उनके द्वारा दिये गये बलिदान को चीन के लोग कभी नहीं भूलेंगे.

चीन का दावा, गलवान घाटी में झड़प के लिए China जिम्मेदार नहीं

हुआ चुनयिंग ने दावा किया कि हम सभी जानते हैं कि पिछले साल गलवान घाटी में झड़प हुई थी और इसके लिए चीन जिम्मेदार नहीं था. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि सीमा मुद्दे को हमारे द्विपक्षीय संबंधों में उपयुक्त जगह दी जाएगी. हम इस मुद्दे के हल के लिए भारतीय पक्ष के साथ काम करने तथा द्विपक्षीय संबंधों के हितों को कायम रखने की उम्मीद करते हैं. उन्होंने कहा कि भारत, चीन का एक अहम पड़ोसी देश है और मधुर संबंध बहाल करना दोनों देशों के लोगों की आकांक्षा है तथा उनके हित में है. मैं उम्मीद करती हूं कि भारत इस साझा लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में हमारे साथ मिल कर काम करेगा.

शनिवार को होने जा रही कमांडर स्तर की 10वें दौर की वार्ता

यह पूछे जाने पर कि क्या चीन द्वारा आज खुलासा किये गये ब्योरे का असर शनिवार को होने जा रही कमांडर स्तर की 10वें दौर की वार्ता पर पड़ेगा, हुआ ने कहा कि ये दो अलग-अलग मुद्दे हैं. दरअसल, यह वार्ता सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया से संबद्ध है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के कूटनीतिक एवं सैन्य माध्यमों के बीच संवाद के जरिए सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया सुगमता से प्रगति पर है. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है भारत द्विपक्षीय संबंधों के सामान्य हितों को ध्यान में रखेगा और संबंधों को पटरी पर वापस लाएगा. हमने अभी जो मारे गये सैनिकों की संख्या जारी किया है, वह बस तथ्य और सच्चाई है.

गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर किया गया था हमला

भारत और चीन की सेना के बीच सीमा पर गतिरोध के हालात पिछले वर्ष पांच मई से बनने शुरू हुए थे. इससे पहले पैंगोंग झील क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसके बाद दोनों ही पक्षों ने सीमा पर हजारों सैनिकों को तैनात कर दिया. गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में चीन के सैनिकों ने पत्थर, कील लगे डंडे, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमला किया था. भारतीय सैनिकों ने गलवान में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय क्षेत्र की ओर चीन द्वारा निगरानी चौकी बनाने का विरोध किया था.

पहली बार चीन ने स्वीकार किया सैनिकों के मौत की बात

हालांकि, पीएलए डेली की खबर में दावा किया गया कि चीन के सैन्यकर्मियों पर भारत के जवानों ने हमला किया था. यह पहला मौका है, जब चीन ने यह स्वीकार किया है कि गलवान में उसके भी सैन्यकर्मी मारे गए थे. खबर में उनके बारे में विस्तार से जानकारी भी दी गई है. इसमें कहा गया है कि इनमें से चार सैन्यकर्मी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान घाटी में भारत की सेना का सामना करते हुए मारे गए. भारत ने घटना के तुरंत बाद अपने शहीद सैनिकों के बारे में घोषणा की थी, लेकिन चीन ने शुक्रवार से पहले आधिकारिक तौर यह कभी नहीं माना था कि उसके सैन्यकर्मी भी झड़प में मारे गए हैं.

इन देशों के मीडिया संस्थानों ने किया था ये खुलासा

रूस की आधिकारिक समाचार एजेंसी टीएएसएस ने 10 फरवरी को खबर दी थी कि गलवान घाटी की झड़प में चीन के 45 सैन्यकर्मी मारे गए थे. पिछले वर्ष, अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट में भी दावा किया गया था कि उक्त झड़प में चीन के 35 सैन्यकर्मी मारे गए थे. चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि पीएलए डेली ने गलवान घाटी में चीन के सैन्यकर्मियों के भी मारे जाने की बात स्वीकार की है. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया कि यह उल्लेखनीय है कि पीएलए डेली की खबर में भारतीय सेना का जिक्र विदेशी सेना के रूप में किया गया, इससे यह जाहिर होता है कि चीन सीमावर्ती इलाकों से भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने की जारी प्रक्रिया की पृष्ठभूमि में लोगों की भावनाओं को भड़काना नहीं चाहता है.

चीन के खुलासे के पीछे क्या है वजह!

सिंघुआ विश्वविद्यालय में नेशनल स्ट्रेटेजी इंस्टीट्यूट के अनुसंधान विभाग में निदेशक क्वियान फेंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि चीन ने घटना की जानकारी का खुलासा इसलिए किया है, ताकि उन भ्रामक जानकारियों को खारिज किया जा सके जिनमें कहा गया था कि उक्त घटना में भारत के मुकाबले चीन को अधिक नुकसान पहुंचा था या फिर झड़प की शुरुआत उसकी ओर से हुई थी. पीएलए ने यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय की है जब पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट से दोनों देश अपने सैनिकों को अग्रिम मोर्चे से पीछे हटा रहे हैं. (इनपुट : भाषा)

Also Read: IRCTC Food On Track App : ट्रेन में सफर के दौरान अब अपनी सीट पर ही पाएं मनपसंद खाना, बुक कराने के लिए करना होगा ये काम

Upload By Samir Kumar

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें