ब्रिटेन में कोरोना वैक्सीन का इंसानों पर पहला ट्रायल सफल, जल्द मिल सकती है अच्छी खबर

Oxford Covid-19 Vaccine, Covid-19 Vaccine , कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में एक आशा की किरण नजर आ रही है. ब्रिटेन के ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी से कोरोना वैक्सीन पर अच्छी खबर है. बताया जा रहा है कि शुरुआती परीक्षण में ब्रिटेन में कोरोना वायरस टीका प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर साबित हुआ है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 20, 2020 9:44 PM

लंदन : कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में एक आशा की किरण नजर आ रही है. ब्रिटेन के ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी से कोरोना वैक्सीन पर अच्छी खबर है. बताया जा रहा है कि शुरुआती परीक्षण में ब्रिटेन में कोरोना वायरस टीका प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर साबित हुआ है. पत्रिका में छापे रिसर्च के अनुसार वैक्सीन का इंसानों पर किये गए पहले ट्रायल का नतीजा अच्छा रहा है. रिसर्च पेपर में बताया गया है कि इंसानों पर कोरोना वायरस वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 दिए जाने पर वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पायी गई. साथ ही सुरक्षित भी पाया गया. पहला ट्रायल सफल रहने पर इसे अगले चरण के ट्रायल के लिए फाइनल कर दिया गया है.

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि उनके प्रायोगिक कोरोना वायरस टीके ने शुरुआती परीक्षण में सैकड़ों लोगों में सुरक्षात्मक प्रतिरोधक प्रतिक्रिया उत्पन्न की है, जिन्हें यह टीका लगाया गया था. ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने पहली बार अप्रैल में लगभग 1,000 लोगों में टीके का परीक्षण शुरू किया था, जिनमें से आधे लोगों को प्रायोगिक टीका लगाया गया था. इस तरह के शुरुआती परीक्षणों को आमतौर पर केवल सुरक्षा का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है, लेकिन इस मामले में विशेषज्ञ यह भी देखना चाह रहे थे कि इसकी किस तरह की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होगी.

‘लांसेट’ नामक पत्रिका में सोमवार को प्रकाशित शोध में, वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्होंने पाया कि उनके प्रायोगिक कोविड-19 टीके ने 18 से 55 वर्ष की आयु के लोगों में दोहरी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न की है. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में जेनर इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. एड्रियन हिल ने कहा, हम लगभग हर किसी में अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देख रहे हैं.

उन्होंने कहा, यह टीका विशेष रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली के दोनों दोनों पक्षों को मजबूत कर देता है. हिल ने कहा कि एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने से जो परमाणु उत्पन्न होते हैं जो संक्रमण को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं. इसके अलावा, इस टीका से शरीर की टी-कोशिकाओं में एक प्रतिक्रिया होती है जो कोरोना वायरस से लड़ने में मदद करते हैं. उन्होंने कहा कि टीके की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने वाले बड़े परीक्षणों में ब्रिटेन के लगभग 10,000 लोगों के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के प्रतिभागी शामिल हैं. ये परीक्षण अभी बड़े पैमाने पर जारी हैं.

ब्रिटेन की एक जैव प्रौद्योगिकी कंपनी ने सोमवार को कोविड-19 के लिए प्रोटीन-आधारित उपचार के क्लीनिकल ट्रायल के अच्छे परिणाम मिलने की सोमवार को घोषणा की और कहा कि इससे मरीजों की गहन देखभाल की जरूरत बहुत कम हो गई.

‘साइनरजेन’ ने कहा कि उसका एसएनजी001 फॉर्मूलेशन इंटरफेरॉन बीटा नामक एक प्रोटीन का उपयोग करता है, जिसे शरीर वायरल संक्रमण होने पर उत्पन्न करता है. इसे इस उम्मीद के साथ कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के फेफड़ों में सीधे एक नेबुलाइजर का उपयोग करके डाला जाता है कि इससे उनके शरीर में एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रेरित होगी.

साइनरजेन के सीईओ रिचर्ड मार्सडेन ने कहा, ‘‘कोविड-19 मरीजों में एसएनजी001 का यह आकलन अस्पताल में भर्ती हुए कोविड-19 रोगियों के उपचार में एक बड़ी सफलता का संकेत हो सकता है. उन्होंने कहा, हम आज घोषित परीक्षण परिणामों से खुश हैं, जिससे पता चला है कि एसएनजी001 अस्पताल में भर्ती कोविड-19 रोगियों की संख्या को बहुत कम कर देती है.

ब्रिटेन ने कोविड-19 के टीकों की नौ करोड़ खुराक खरीदने के लिए किया समझौता

ब्रिटेन सरकार ने कहा है कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए तैयार हो रहे टीकों की नौ करोड़ खुराक खरीदने के संबंध में उसने समझौतों पर दस्तखत किये हैं. व्यापार मंत्री आलोक शर्मा ने सोमवार को इसकी घोषणा की. मंत्रिमंडल में शामिल भारतवंशी केंद्रीय मंत्री शर्मा ने कहा कि सरकार ने अग्रणी दवा और टीका कंपनियों-फाइजर, बायोएनटेक और वलनेवा के साथ महत्वपूर्ण भागीदारी की है. ये कंपनियां कोरोना वायरस के उपचार के लिए टीका तैयार कर रही हैं.

Posted By – Arbind Kumar Mishra

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