बीजिंग : कोरोना वायरस के महासंक्रमण के दौर से गुजर रहे भारत के लिए राहत की एक रोशनी नजर आती दिखायी दे रही है और वह यह कि पूरी दुनिया में महामारी के साथ तबाही मचाने वाले इस महासंक्रामक वायरस के खात्मे का टीका विकसित करने के लिए भारत और चीन आपस में सहयोग कर सकते हैं. चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री ने कहा है कि घातक कोरोना वायरस का टीका तैयार करने के लिए भारत और चीन को अपने वैज्ञानिक और तकनीकी संसाधनों को साझा करना चाहिए.
उन्होंने सरकार द्वारा संचालित टेलीविजन नेटवर्क सीजीटीएन के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि हम इस वायरस के लिए टीके के विकास में सहयोग कर सकते हैं. यह दुनिया के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा, हमारे दोनों देशों में बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक और तकनीकी मानव संसाधन हैं. उन्होंने कहा कि कोविड-19 पर काबू पाने के लिए वैश्विक सहयोग होना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि दुश्मन कोई एक व्यक्ति, एक देश या देशों का समूह नहीं है. यह एक ऐसा वायरस है, जो कोई भेदभाव नहीं करता है. देशों के लिए अपने मतभेदों को अलग रखना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि अपने मतभेदों से ऊपर उठना भी अहम है. हमें महसूस करना होगा कि इस संबंध में हम सभी एक हैं. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में कोरोना वायरस के 14.4 लाख से ज्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 82,000 से अधिक लोग इससे मर चुके हैं.
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मिस्री ने कहा कि चीन और भारत स्वास्थ्य क्षेत्र में और महामारी विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक और चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग कर सकते हैं, क्योंकि इससे दोनों देशों के वैज्ञानिकों और संबंधित संस्थानों को एक दूसरे के संपर्क में रहने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि भारत कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए चीन से गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा उपकरण खरीदने की प्रक्रिया में है.
उन्होंने कहा कि जब इस साल जनवरी-फरवरी में चीन कोरोना वायरस संकट का सामना कर रहा था, भारत ने परामर्श प्रक्रिया के तहत 15 टन चिकित्सा सहायता मुहैया करायी थी. राजदूत ने कहा कि सहयोग की काफी संभावना है. मौजूदा मामले में हम जहां भी उपलब्ध है, वहां से व्यावसायिक रूप से मेडिकल उपकरण खरीद रहे हैं. चीन में यह काफी मात्रा में उपलब्ध है.
उन्होंने कहा कि चीन पीपीई (निजी सुरक्षा उपकरण), वेंटिलेटर और ऐसे अन्य उपकरणों के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है. दोनों देशों के राजनयिक संबंध स्थापित होने के 70 साल पूरा होने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि दोनों सरकारों द्वारा इस अवसर का जश्न मनाने के लिए 70 कार्यक्रमों की योजना बनायी गयी थी, लेकिन वे दोनों देशों में कोरोना वायरस महामारी के कारण प्रभावित हुए हैं.