Happy Chhath Puja 2022: बिहार और झारखंड के लोग दुनिया के जिस कोना में गये, सूर्योपासना का महापर्व छठ वहां पहुंच गया. अमेरिका, ब्रिटेन के अलावा ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में भी चार दिवसीय छठ पूजा मनायी जा रही है. इस बार ऑस्ट्रेलिया में 10 लोगों ने छठ का व्रत रखा है. सभी मेलबोर्न स्थित करकरूक पार्क (Karkarook Park, Melbourne) में भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे. इस मैदान में पिछले चार सालों से छठ पूजा का आयोजन हो रहा है. इस अवसर पर इस वर्ष सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जा रहा है. पद्मश्री मालिनी अवस्थी 31 अक्टूबर की शाम को भारतीय समुदाय के लोगों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगी.
वर्ष 2022 में मेलबोर्न में जिन लोगों ने छठ का व्रत रखा है, उनके नाम सुप्रिया एवं सुरिंदर, रूपा, स्मिता, अंजू कुमारी, नूतन कुमारी, शक्ति, गुंजन, स्नेह, स्मृता और अमित हैं. सभी 30 एवं 31 अक्टूबर को भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर अपना व्रत पूर्ण करेंगे.
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झारखंड की राजधानी रांची में पले-बढ़े सुरेंद्र मूल रूप से बिहार के जहानाबाद जिला के रहने वाले हैं. वह इन दिनों मेलबोर्न में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं. सुरेंद्र और उनकी पत्नी ने वर्ष 2019 में छठ पूजा करना शुरू किया. सुरेंद्र ने प्रभात खबर को बताया कि उनकी पत्नी पूजा बेगूसराय (बिहार) के बीहट की रहने वाली हैं. उनकी दादी छठ पूजा करती थीं और तब उनके गांव में 30 किलो आटा का ठेकुआ बना करता था. वह अपनी दादी की मदद करती थीं. आसपास में जहां भी छठ होता, उसके घर जाकर उनकी मदद करतीं. लेकिन, ऑस्ट्रेलिया आने के बाद गांव जाने का मौका नहीं मिल रहा था. फलस्वरूप वे छठ को काफी मिस करने लगे.
छठ पूजा में शामिल नहीं हो पाने का मलाल इस दंपती को सालता था. आखिरकार यूट्यूब पर छठ के वीडियो देखकर मन को सांत्वना दे लेते थे. जब हम ब्रिसबेन में रहते थे, तो वहां ऐसा कोई शख्स नहीं मिला, जो छठ करता हो. जहां पूजा होती थी, वह जगह बहुत दूर थी. इसलिए हम छठ पूजा नहीं कर पाये. बाद में हम मेलबोर्न शिफ्ट हो गये. यहां मधेसी समाज ने हमें छठ पूजा देखने के लिए आमंत्रित किया. यहां सामूहिकता की भावना ने हमें भी छठ पूजा करने के लिए प्रेरित किया.
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इसके अगले ही साल बीजेएसएम कमेटी ने करकरूक पार्क में छठ पूजा करने का निश्चय किया. इसके साथ ही हमारी छठ पूजा शुरू हो गयी. इसके बाद से हर साल ऑस्ट्रेलिया के इस पार्क में छठ पूजा होती है. सुरेंद्र कहते हैं कि भारतीय समुदाय के लोग तमाम व्यस्तताओं के बावजूद यहां एक-दूसरे की मदद करने के लिए पहुंच जाते हैं. अब तो हमें साल भर इस दिन का इंतजार रहता है. इस दिन हम भारतीय समुदाय के लोग एक जगह जुटते हैं. पूजा में एक-दूसरे की मदद करते हैं. अपने सुख-दुख बांटते हैं और अपने-अपने कर्मक्षेत्र के तनाव से यहां पूरी तरह से मुक्त रहते हैं.
रिपोर्ट- राज कुमार, रांची