इस्लामाबाद : पाकिस्तान की अदालत ने एक जैसी उन तीन याचिकाओं को खारिज कर दिया जिनमें देश की राजधानी में पहले हिंदू मंदिर के निर्माण को चुनौती दी गई थी. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय की एकल पीठ में न्यायमूर्ति आमिर फारूक ने मंगलवार को यह फैसला दिया. उन्होंने यह साफ कर दिया कि ‘इंस्टीट्यूट ऑफ हिंदू पंचायत’ (आईएचपी) पर कोई रोक नहीं है.
आईएचपी को मंदिर निर्माण के लिए भूमि आवंटित की गई है. उसे अपने पैसों से निर्माण करना है. इससे पहले, सोमवार को अदालत ने मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. योजना के मुताबिक राजधानी के एच-9 प्रशासनिक संभाग में 20,000 वर्गफुट के भूखंड पर कृष्ण मंदिर बनना है.
मंदिर का भूमि पूजन हाल में मानवाधिकार मामलों पर संसदीय सचिव लाल चंद माल्ही ने किया था. इमरान खान की सरकार के सहयोगी दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद ने मंदिर निर्माण को ‘‘इस्लाम की भावना के खिलाफ” बताते हुए, इसका विरोध किया है . याचिकाकर्ताओं ने मंदिर निर्माण तथा राजधानी विकास प्राधिकरण (सीडीए) की ओर से इस्लामाबाद में भूमि आवंटन को निरस्त करने की मांग की.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के मास्टर प्लान में इसका कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि अदालत ने इस बात को खारिज कर दिया और कहा कि भूमि उपयोग के बारे में फैसला करने का अधिकार सीडीए का है. सीडीए ने पिछले हफ्ते कानूनी कारणों का हवाला देते हुए भूखंड पर चारदीवारी बनाने का काम रोक दिया था.
Posted By – Pankaj Kumar Pathak