तालिबान ने कहा है कि उनके सैकड़ों लड़ाके पंजशीर घाटी की ओर बढ़ रहे हैं. पंजशीर वहीं इलाका है जहां आज तक तालिबान घुस नहीं पाया है. आज अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद भी पंजशीर में तालिबान का विरोध जारी है. पंजशीर के नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट के अहमद मसूद ने कहा है कि वह कट्टरपंथी इस्लामी समूह के साथ बातचीत करना चाहते हैं लेकिन कि उसकी सेना लड़ने के लिए तैयार है.
तालिबान के अलेमराह ट्विटर फीड ने कहा कि सैकड़ों लड़ाके पंजशीर की ओर जा रहे हैं. स्थानीय राज्य के अधिकारियों ने इसे शांतिपूर्वक सौंपने से इनकार कर दिया. यह ट्वीट 14 सेकंड के वीडियो क्लिप के साथ आया, जिसमें एक राजमार्ग पर सफेद तालिबान के झंडे के साथ पकड़े गये ट्रकों को जाते देखा जा सकता है. 1980 के दशक में अफगानिस्तान के सोवियत विरोधी प्रतिरोध के प्रमुख नेताओं में से एक, अहमद शाह मसूद के बेटे मसूद ने कहा कि अगर तालिबान ने पंजशीर घाटी पर आक्रमण करने की कोशिश की तो उनके समर्थक लड़ने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने काबुल के उत्तर-पश्चिम में पंजशीर घाटी में अपने गढ़ से टेलीफोन द्वारा समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि हम तालिबान को यह एहसास दिलाना चाहते हैं कि आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता बातचीत है. हम नहीं चाहते कि युद्ध छिड़ जाए. उन्होंने और देश के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने नियमित सेना इकाइयों और विशेष बलों के साथ-साथ स्थानीय मिलिशिया सेनानियों के अवशेषों से बनी सेना को इकट्ठा किया है.
रॉयटर्स ने बताया कि इस बारे में कुछ अनिश्चितता थी कि क्या तालिबान ने अपना ऑपरेशन शुरू कर दिया है. इसने तालिबान के एक अधिकारी का हवाला देते हुए कहा कि पंजशीर पर एक आक्रमण शुरू किया गया था, लेकिन मसूद के एक सहयोगी ने कहा कि इस बात के कोई संकेत नहीं थे कि लड़ाके वास्तव में घाटी में संकरे रास्ते में प्रवेश कर गये थे और लड़ाई की कोई रिपोर्ट नहीं थी.
विशेषज्ञों ने कहा है कि अगर इस्लामी कट्टरपंथियों ने बड़े पैमाने पर हमला किया तो पंजशीर घाटी में जमा हुए प्रतिरोध सेनानियों को संघर्ष करना होगा. फिलहाल प्रतिरोध सिर्फ मौखिक है क्योंकि तालिबान ने अभी तक पंजशीर में प्रवेश करने की कोशिश नहीं की है. तालिबान को केवल पंजशीर को बंद करने की जरूरत है, उन्हें वहां जाने की भी जरूरत नहीं है.
एक स्वतंत्र शोधकर्ता अब्दुल सईद ने एएफपी को बताया कि तालिबान ने पंजशीर को चारों तरफ से घेर लिया है और मुझे नहीं लगता कि मसूद का बेटा कुछ महीनों से ज्यादा विरोध कर सकता है. फिलहाल, उसके पास वास्तव में कोई मजबूत समर्थन नहीं है. तालिबान विरोधी बलों ने पिछले हफ्ते पंजशीर की सीमा से लगे उत्तरी प्रांत बागलान में तीन जिलों को वापस ले लिया.
अफगान टेलीविजन चैनल टोलो न्यूज ने रविवार को बताया कि तालिबान विरोधी लड़ाकों ने शुक्रवार को बगलान प्रांत में पुल-ए-हिसार, देह सलाह और बानो जिलों पर कब्जा कर लिया, लेकिन तालिबान ने शनिवार को बानू पर कब्जा कर लिया.
Posted By: Amlesh Nandan.