पाकिस्तान में इमरान खान सरकार ने हासिल किया विश्वास मत, पक्ष में डाले गए 178 वोट

इमरान खान पाकिस्तान के इतिहास में ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने खुद विश्वास मत का ऐलान किया था. इससे पहले 1993 में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने विश्वास मत को लेकर खुद पहल की थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 6, 2021 2:31 PM
  • इमरान खान ने सीनेट चुनाव हारने के बाद खुद ही किया था ऐलान

  • इमरान खान को नेशनल असेंबली में सरकार बचाने को चाहिए था 171 सांसदों का समर्थन

  • संसद में इमरान की खुद के पार्टी पीटीआई के हैं 157 सांसद

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया है. इमरान खान सरकार के पक्ष में 178 वोट डाले गए. खान को नेशनल एसेंबली में 171 सांसदों का समर्थन चाहिए था. सदन में कुल 342 सदस्यों में अभी 340 सदस्य हैं और दो सीटें खाली हैं. खान की पीटीआई के पास 157 सांसद हैं, जबकि विपक्षी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के 83 सदस्य हैं और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के 55 सांसद हैं. विपक्षी गठबंधन ने इस विश्वास मत का विरोध किया था. लिहाजा नेशनल असेंबली के सत्र में विपक्ष का कोई भी सदस्य शामिल नहीं हुआ.

इमरान खान पाकिस्तान के इतिहास में ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने खुद विश्वास मत का ऐलान किया था. इससे पहले 1993 में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने विश्वास मत को लेकर खुद पहल की थी. इमरान खान पर भष्ट्राचार के आरोप लगे थे. वित्त मंत्री अब्दुल हफीज शेख की सीनेट चुनाव में हार के बाद इमरान ने विश्वास मत का ऐलान किया था. इमरान खान ने गुरुवार को कहा था कि वह अपनी सरकार की वैधता साबित करने के लिए विश्वास मत का सामना करेंगे.

सीनेट चुनाव में देश के वित्त मंत्री अब्दुल हफीज शेख को पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी से सिर्फ 5 वोटों से हार गए थे. आरोप है कि सीक्रेट बैलेट वोटिंग में पीटीआई के कुछ नेताओं ने पीपीपी के समर्थन में वोट डाले थे. पीपीपी पर इन सदस्यों को अपने पक्ष में वोट डालने को राजी करने के लिए गलत तरीके अपनाने का आरोप लगाया है.

बता दें कि अब पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में तहरीक-ए-इंसाफ के सभी सदस्यों को लिखे पत्र में इमरान ने लिखा, ‘आपको प्रधानमंत्री पर अविश्वास प्रस्ताव पर होने जा रहे मतदान में पार्टी के निर्देशों के मुताबिक वोट डालने हैं. अगर कोई नेता मतदान में शामिल नहीं होता है या पार्टी के निर्देश के मुताबिक मतदान नहीं करता है, पार्टी आलाकमान किसी भी सदस्य को डिफेक्टेड करार दे सकता है और इसकी सूचना चुनाव आयोग को दे दी जाएगी.’ इसके अलावा, सांसदों से असेंबली हॉल के दरवाजे बंद होने से पहले अंदर मौजूद रहने को कहा गया.

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Posted by : Vishwat Sen

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