इस्लामाबाद/नई दिल्ली : कुर्सी बचाने के लिए जोड़तोड़ कर रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस से पहले करारा झटका लगा है. 31 मार्च को यानी कल गुरुवार को पाकिस्तान के नेशनल असेंबली में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होनी है और तीन अप्रैल को इस पर मतदान कराए जाएंगे. इससे पहले सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सहयोगी दल मुत्ताहिदा क़ौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएमपी) ने अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे पर उसका साथ छोड़ दिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी बताया जा रहा है कि एमक्यूएमपी का पीटीआई से नाता तोड़ने के बाद पाकिस्तान के संयुक्त विपक्ष को इमरान खान को पद से हटाने के लिए अब उनके बागी सांसदों की मदद लेने की जरूरत भी नहीं रही. पाकिस्तान के टीवी चैनल जियो न्यूज के अनुसार, एमक्यूएमपी का पीटीआई से जुदा होने के बाद निचली सदन में इमरान खान की सरकार ने बहुमत खो दिया है. इस वजह से इमरान खान सरकार को जाना लगभग तय माना जा रहा है.
हालांकि, इमरान खान सरकार के गृह मंत्री शेख राशिद को अब भी इस बात का गुमान है कि नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग में उनकी सरकार बच जाएगी. उन्होंने दावा किया कि 31 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी. उसके बाद तीन अप्रैल को मतदान होगा. उन्होंने कहा कि इसमें इमरान खान विजयी रहेंगे.
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, एमक्यूएमपी की ओर से पीटीआई का साथ छोड़ने के फैसले की वजह से पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में इमरान खान के समर्थक सांसदों की संख्या घटकर 164 रह गई है. इससे पहले नेशनल असेंबली में इमरान समर्थक सांसदों की संख्या 171 थी. पीटीआई के सहयोगी दल एमक्यूएमपी के सांसदों की संख्या 7 थी. एमक्यूएमपी का पीटीआई से जुदा होने के बाद विपक्षी दलों के सांसदों की संख्या बढ़कर 177 हो गई है. इससे पहले विपक्षी सांसदों की संख्या 170 थी.
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बताते चलें कि पाकिस्तान की 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में पीटीआई के 155 सदस्य हैं और उसे सत्ता में बने रहने के लिए कम से कम 172 सांसदों के समर्थन की जरूरत है. विपक्ष ने आठ मार्च को नेशनल असेंबली को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा था. इस प्रस्ताव के मद्देनजर रैली का आयोजन किया गया था. खान 2018 में ‘नया पाकिस्तान’ बनाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने की बुनियादी समस्या को दूर करने में बुरी तरह विफल रहे, जिससे विपक्ष को उनकी सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया.