इस्लामाबाद/नई दिल्ली : पाकिस्तान में होने वाली यौन हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान ने बेतुका बयान दिया है. उन्होंने एक साक्षात्कार के दौरान महिलाओं के पहनावे को यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार ठहराया है. हिंदुस्तान टाइम्स की वेबसाइट पर साक्षात्कार के हवाले से प्रकाशित समाचार के अनुसार, इमरान खान ने कहा कि अगर एक महिला बहुत कम कपड़े पहनती है, तो इसका पुरुषों पर प्रभाव पड़ेगा, जब तक कि वह रोबोट न हो. यह सिर्फ सामान्य ज्ञान है. उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक साम्राज्यवाद है. हमारी संस्कृति में जो कुछ भी स्वीकार्य है, वह हर जगह स्वीकार्य होना चाहिए. ऐसा नहीं है.
खबर के अनुसार, इमरान खान की टिप्पणियों ने सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश पैदा कर दिया है, जिसमें विपक्षी नेताओं और पत्रकारों ने गलत विचारधारा के खिलाफ गुस्सा और घृणा व्यक्त की है. एक यूजर अनाया खान ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर साक्षात्कार के वीडियो के साथ ट्वीट किया कि इमरान खान माफी मांगते हैं और महिलाओं से नफरत करते हैं.
उधर, इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स की कानूनी सलाहकार रीमा ओमर ने खान द्वारा यौन हिंसा के मामलों में पीड़ित-दोष में अपना रुख दोहराने के बाद निराशा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान को पाकिस्तान में यौन हिंसा के कारणों के बारे में अपने शिकार को दोषी ठहराते हुए देखना निराशाजनक और स्पष्ट रूप से बीमार है. पुरुष रोबोट नहीं हैं. अगर वे महिलाओं को कम कपड़ों में देखते हैं, तो वे आकर्षित हो जाएंगे और कुछ यौन उत्पीड़न का सहारा लेंगे.
इसके पहले इमरान खान ने अप्रैल में एक टीवी साक्षात्कार के दौरान पाकिस्तान में यौन हिंसा के मामलों में वृद्धि के लिए अश्लीलता को दोषी ठहराया था और महिलाओं को आकर्षित करने से बचने के लिए पूरे कपड़े करने की सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि पर्दा प्रथा आकर्षण से बचने के लिए है. हर किसी में इससे बचने की इच्छाशक्ति नहीं होती है.
उनकी इस टिप्पणी के बाद उनसे माफी को लेकर सैकड़ों लोगों ने इस्लामाबाद में विरोध-प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने खान की आलोचना की, जिसे उन्होंने पीड़ित-दोषी कहा और टिप्पणी के लिए माफी की मांग की. गौरतलब है कि नवंबर 2020 में पाकिस्तान में हर दिन 11 बलात्कार की घटनाएं सामने आती हैं, जिसमें पिछले छह वर्षों में 22,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए. हालांकि, इन अपराधों की दोषसिद्धि दर केवल 0.03 फीसदी है, क्योंकि तब तक केवल 77 आरोपियों को ही दोषी ठहराया गया है.
Posted by : Vishwat Sen