इमरान खान की पार्टी पर लग सकता है बैन, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ से 4 और नेताओं ने दिया इस्तीफा
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से चार और नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है. पंजाब से पीटीआई एमपीए नादिया अजीज ने 9 मई को हुई घटनाओं को लेकर इमरान खान की पार्टी से अलग होने की घोषणा की है.
क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी अपने गठन के 27 साल बाद सबसे मुश्किल समय का सामना कर रही है. इस महीने की शुरुआत में, सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों के मद्देनजर पीएमएल-एन के नेतृत्व वाली मौजूदा गठबंधन सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री की पार्टी पर पाबंदी लगाये जाने की संभावना है. इस बीच पार्टी से नेताओं के इस्तीफे का सिलसिला जारी है.
पीटीआई से 4 और नेताओं ने दिया इस्तीफा
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से चार और नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है. पंजाब से पीटीआई एमपीए नादिया अजीज ने 9 मई को हुई घटनाओं को लेकर इमरान खान की पार्टी से अलग होने की घोषणा की है. जियो न्यूज के अनुसार पिछले कुछ दिनों में शिरीन मजारी, फवाद चौधरी इमरान इस्माइल, आमिर महमूद कियानी, अली जैदी, मलीका बुखारी सहित कई पार्टी नेताओं ने पीटीआई छोड़ दी है. इससे पहले पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के 60 से अधिक नेताओं ने सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों का हवाला देते हुए पार्टी और खान से अलग होने की घोषणा की. ऐसी खबरें हैं कि आने वाले दिनों में पार्टी में विभिन्न स्तरों पर नेता इस्तीफा दे देंगे. अब तक इस्तीफा देने वाले पार्टी के नेताओं में पूर्व मंत्री असद उमर, शिरीन मजारी, फवाद चौधरी और फिरदौस आशिक अवान शामिल हैं.
इमरान की पार्टी पर प्रतिबंध लगाने के लिए संसद में जल्द लाया जा सकता है प्रस्ताव
सैन्य प्रतिष्ठानों द्वारा समर्थित एवं मुख्यधारा के दल–पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पाकिस्तान-फजल (जेयूआई-एफ)–चरमपंथ और हिंसा को बढ़ाने देने को लेकर इमरान खान की पार्टी पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में हैं. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ पहले ही संकेत दे चुके हैं कि सत्तारूढ़ गठबंधन इमरान की पार्टी पर प्रतिबंध लगाने के लिए संसद में जल्द ही एक प्रस्ताव लाएगा.
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1996 में इमरान खान ने पार्टी का किया था गठन
इमरान ने 25 अप्रैल 1996 को लाहौर में पार्टी का गठन किया था, जो अब तक के सबसे मुश्किल समय का सामना कर रही है. पार्टी अपने गठन के बाद, पहले 15 वर्षों में संसद में एक छोटी पार्टी या एक सीट वाली पार्टी रही थी। इमरान ने 2002 के आम चुनाव में पंजाब जिले में अपने गृहनगर मियांवाली से नेशनल असेंबली चुनाव जीता. उनकी पार्टी ने यही एकमात्र सीट जीती थी. इसके बाद, इमरान की पार्टी ने 2008 के चुनावों का बहिष्कार करते हुए कहा था कि वह सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ के तहत चुनाव नहीं लड़ेगी. हालांकि, इसके बाद पार्टी के लिए ऐतिहासिक क्षण आया, जब 30 अक्टूबर 2011 में लाहौर के मीनार-ए-पाकिस्तान में आयोजित जलसा (सार्वजनिक बैठक) में हजारों लोग खासकर युवा और महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल हुईं.
इमरान ने कहा, अकेले रहने पर भी जारी रहेगी लड़ाई
पार्टी से नेताओं के इस्तीफा देने के बीच इमरान खान (70) ने कहा, पार्टी में अकेले रहने पर भी उनकी लड़ाई जारी रहेगी. खान ने कहा कि उस रैली ने पार्टी में नई जान फूंक दी और 15 साल के संघर्ष के बाद उसे एक मजबूत राजनीतिक ताकत के रूप में पहचान मिली. खान ने अपने आंदोलन की तुलना पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के (पाकिस्तान आंदोलन) से की. वह इसे नए पाकिस्तान के लिए संघर्ष कहेंगे.