पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के एक विवादास्पद बयान पर शहबाज शरीफ भड़क गये हैं. उन्होंने तुर्की से ही इमरान खान को ऐसा शख्स बता दिया, जो किसी भी सार्वजनिक पद के लायक नहीं है. दरअसल, इमरान खान ने कहा था कि पाकिस्तान ‘तीन टुकड़ों में टूट जायेगा’. इमरान खान ने बुधवार को ‘बोल न्यूज’ को इंटरव्यू दिया था. इसी दौरान कई तरह की बातें हुईं. इमरान खान ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर सही निर्णय नहीं लिये गये, तो देश टूट सकता है. पाकिस्तान के तीन टुकड़े हो सकते हैं. इससे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ नाराज हो गये.
तुर्की के आधिकारिक दौरे पर गये शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख के साक्षात्कार में भाषा के चयन पर कड़ी आपत्ति जतायी, खासकर देश को तोड़ने के बारे में. उन्होंने इमरान पर ‘देश के खिलाफ धमकी’ देने का आरोप लगाया. उन्होंने अपने पूर्ववर्ती को ‘पाकिस्तान के विभाजन के बारे में बात करने’ को लेकर चेतावनी दी.
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प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ट्वीट किया, ‘जब मैं तुर्की में समझौतों पर हस्ताक्षर कर रहा हूं, इमरान नियाजी देश के खिलाफ धमकियां दे रहे हैं. नियाजी सार्वजनिक पद के लिए अयोग्य हैं और इसके लिए अगर किसी भी सबूत की जरूरत थी, तो उनका नवीनतम साक्षात्कार पर्याप्त है.’ उन्होंने अपने ट्वीट में इमरान खान को आगाह किया, ‘अपनी राजनीति कीजिए, लेकिन सीमा लांघने की हिमाकत और पाकिस्तान के बंटवारे के बारे में बात मत कीजिए.’
पाकिस्तान के डान अखबार के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री ने साक्षात्कार में स्वीकार किया कि बतौर प्रधानमंत्री उन्हें पूर्ण शक्ति नहीं मिली. यह दर्शाता है कि देश में सत्ता के वास्तविक केंद्र कहीं और था और ‘हर कोई जानता है कि वह कहां था.’ कथित तौर पर सेना के समर्थन से वर्ष 2018 में सत्ता में आये इमरान खान संसद में अविश्वास प्रस्ताव के चलते बाहर होने वाले एकमात्र पाकिस्तानी प्रधानमंत्री हैं. उनकी जगह पीएमएल-एन के शहबाज शरीफ ने ली है.
पाकिस्तान में उसके अस्तित्व के 73 से अधिक वर्षों में से आधे से ज्यादा समय तक सेना ने शासन किया. देश की सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में वह काफी हद तक अपनी शक्ति का इस्तेमाल करती है. सेना हालांकि राजनीति में अपनी संलिप्तता से लगातार इंकार करती रही है. खान से उनके खिलाफ अविश्वास मत की रात की घटनाओं का जिक्र करने के लिए कहा गया.
इसके अलावा यह सवाल किया गया कि कौन आदेश जारी कर रहे था और किसने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेताओं के खिलाफ मामलों में बाधा डाली थी. इस पर इमरान खान ने कहा कि उनकी सरकार सत्ता में आने पर ‘कमजोर’ थी और उन्हें गठबंधन सहयोगियों की तलाश करनी पड़ी. उन्होंने कहा कि अगर फिर से वही स्थिति पैदा होती है, तो वह दोबारा चुनाव का विकल्प चुनेंगे और बहुमत की सरकार की तलाश करेंगे या फिर सरकार बनायेंगे ही नहीं.
उन्होंने कहा, ‘हमारे हाथ बंधे हुए थे. हमें हर जगह से ब्लैकमेल किया गया था. सत्ता हमारे पास नहीं थी. हर कोई जानता है कि पाकिस्तान में सत्ता कहां है, इसलिए हमें उन पर निर्भर रहना पड़ा.’ उन्होंने हालांकि इस बारे में और जानकारी नहीं दी कि वह किसके संदर्भ में बात कर रहे थे.
पीएमएल-एन के ट्विटर हैंडल पर साझा किये गये एक अलग बयान में, शहबाज शरीफ को यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि खान की टिप्पणी इस बात का सबूत है कि पीटीआई प्रमुख ‘एक साजिश में शामिल थे, राजनीति में नहीं.’ पीएमएल-एन के ट्वीट में शरीफ के हवाले से कहा गया, ‘यह बयान नहीं है, बल्कि देश में अराजकता और विभाजन की आग भड़काने की साजिश है.’ यह उनकी ‘हताशा और बीमार मानसिकता’ के कारण है तथा उनका बयान देश के दुश्मनों की तरह है.
शहबाज शरीफ ने कहा, ‘सत्ता खोने का मतलब यह नहीं है कि आप पाकिस्तान, उसकी एकता और उसकी संस्थाओं के खिलाफ युद्ध छेड़ दें.’ उन्होंने इमरान को संघ और देश के संस्थानों पर ‘हमला’ नहीं करने की चेतावनी दी. उन्होंने कहा, ‘कानून और संविधान द्वारा निर्धारित सीमाओं को मत लांघिए.’ इससे पहले, खान की टिप्पणी की निंदा करते हुए, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने ट्वीट कर कहा, ‘इमरान खान, इस दुनिया में सत्ता ही सब कुछ नहीं है. बहादुर बनें और अपने पैरों पर खड़े होकर राजनीति करना सीखें.’
पीटीआई प्रमुख खान ने सरकार से ‘सही निर्णय’ लेने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि अगर पाकिस्तान को अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता खोनी पड़ी, तो वह ‘तीन टुकड़ों’ में विभाजित हो जायेगा. क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान ने यह भी कहा कि मौजूदा राजनीतिक स्थिति देश के साथ-साथ सरकार के लिए भी एक समस्या है.
इमरान खान ने कहा, ‘अगर सरकार सही निर्णय नहीं लेती है, तो मैं (आपको) लिखित रूप में आश्वासन दे सकता हूं कि (किसी और से पहले) वह और सेना नष्ट हो जायेगी, क्योंकि अगर देश दिवालिया हो गया तो देश का क्या होगा.’ उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान कर्ज न चुका पाने की ओर जा रहा है. अगर ऐसा होता है, तो कौन सी संस्था (सबसे बुरी तरह) प्रभावित होगी? सेना. इसके प्रभावित होने के बाद, हमसे क्या रियायत ली जायेगी? परमाणु निरस्त्रीकरण.’ उन्होंने कहा कि देश ‘खुदकुशी की ओर’ जा रहा है और सरकार को ‘सही निर्णय’ लेने की आवश्यकता है.