नई दिल्ली/संरा : रूस यूक्रेन युद्ध का एक महीना पूरा होने वाला है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है और न ही दोनों देशों के बीच शांति बहाली को लेकर सहमति बन पाई है. हालांकि, यूक्रेन के पड़ोसी देश बेलारूस में दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने करीब चार दौर की बातचीत भी की. इस बीच, खबर यह है कि रूस ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में यूक्रेन में मानवीय जरूरतों को लेकर प्रस्ताव पेश किया था, जो पारित नहीं हो सका. इसके लिए रूस को कम से कम नौ देशों के समर्थन की दरकार थी, लेकिन उसके प्रस्ताव पर होने वाले मतदान में भारत समेत करीब 13 देशों ने हिस्सा नहीं लिया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस की ओर से जो प्रस्ताव पेश किया गया था, उसमें यूक्रेन की बढ़ती मानवीय जरूरतों को स्वीकार तो किया गया था, लेकिन रूस की ओर से किए जा रहे हमलों का जिक्र नहीं था. इस प्रस्ताव पर रूस को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों में से कम से कम नौ देशों का समर्थन हासिल करना आवश्यक था. इसके साथ ही, इसमें शर्त यह भी थी कि उसके इस प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद के चार दूसरे स्थायी सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन में से कोई भी अपने वीटो पावर का इस्तेमाल न करे.
हालांकि, रूस को केवल अपने सहयोगी चीन का समर्थन मिला, जबकि भारत सहित 13 अन्य परिषद सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. इसे रूस की एक बड़ी विफलता के रूप में देखा जा रहा है. इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन और दो दर्जन अन्य देशों द्वारा तैयार किए गए एक प्रस्ताव पर विचार करना शुरू किया. करीब 100 देशों द्वारा सह-प्रायोजित किए गए प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बढ़ती मानवीय आपात स्थिति के लिए रूस की आक्रामकता जिम्मेदार है.
संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वसीली नेबेंजिया ने मतदान से पहले सुरक्षा परिषद को बताया था कि उसका प्रस्ताव राजनीतिक नहीं है, बल्कि सुरक्षा परिषद के अन्य मानवीय प्रस्तावों की तरह है. उन्होंने स्पष्ट रूप से उस अमेरिकी दावे को खारिज किया कि रूस को इस तरह का प्रस्ताव पेश करने का कोई अधिकार नहीं था. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ने कहा कि रूस अपने क्रूर कृत्यों को छुपाने के लिए इस परिषद का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है.
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वहीं, चीन के राजदूत झांग जून ने रूसी प्रस्ताव के पक्ष में अपने देश के वोट पर सफाई देते हुए कहा कि परिषद के सदस्यों को मानवीय मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, तथा राजनीतिक मतभेदों को दूर करना एवं आम सहमति तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए. साथ ही, मानवीय संकट से निपटने के लिए सकारात्मक एवं व्यावहारिक प्रयास करने चाहिए.