सीमा मुद्दे पर भारत के साथ अमेरिका, भड़का चीन

चीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर अमेरिका की एक वरिष्ठ राजनयिक की टिप्पणियां ‘‘निरर्थक'' हैं और दोनों देशों के बीच राजनयिक माध्यम से चर्चा जारी है तथा वाशिंगटन का इससे कोई लेना-देना नहीं है .

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 21, 2020 8:46 PM

बीजिंग : चीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर अमेरिका की एक वरिष्ठ राजनयिक की टिप्पणियां ‘‘निरर्थक” हैं और दोनों देशों के बीच राजनयिक माध्यम से चर्चा जारी है तथा वाशिंगटन का इससे कोई लेना-देना नहीं है .

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दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक एलिस जी वेल्स ने बुधवार को कहा था कि चीन यथास्थिति को बदलने की कोशिश के तहत भारत से लगती सीमा पर लगातार आक्रामक रुख अपना रहा है. भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव के संबंध में एक सवाल के जवाब में वेल्स ने आरोप लगाया था कि चीन यथास्थिति को बदलने की कोशिश के तहत लगतार ‘‘भड़काऊ और परेशान करने वाला रुख” अख्तियार किए हुए है.

दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की निवर्तमान प्रधान उप सहायक विदेश मंत्री वेल्स ने बुधवार को एक कार्यक्रम में थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल से कहा था कि चीन का तरीका हमेशा आक्रामकता का रहा है, वह यथास्थिति को बदलने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. उसे रोके जाने की आवश्यकता है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन-भारत सीमा मुद्दे पर चीन की स्थिति स्थिर और स्पष्ट रही है.

वेल्स की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अमेरिकी ‘‘राजनयिक की टिप्पणियां केवल निरर्थक हैं.” झाओ ने कहा कि चीन के सीमा प्रहरी दृढ़ता से चीन की सीमा की संप्रभुता और सुरक्षा की रखवाली करते हैं तथा भारत की ओर से होने वाली अतिक्रमण की गतिविधियों से मजबूती से निपटते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सैनिक सीमा क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता की दृढ़ता से रक्षा करते हैं.

हम भारतीय पक्ष से मिलकर काम करने, हमारे नेतृत्व की महत्वूपर्ण सहमति का पालन करने, हस्ताक्षिरत समझौतों का पालन करने, स्थिति को जटिल बनाने वाली एकतरफा कार्रवाइयों से बचने का आग्रह करते हैं.” झाओ ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि वे सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए ठोस प्रयत्न करेंगे. दोनों पक्षों के बीच राजनयिक माध्यम से चर्चा हो रही है जिससे अमेरिका का कोई लेना-देना नहीं है.” गत पांच मई को पेंगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई थी. दोनों ओर से पथराव भी हुआ था.

इस घटना में दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे. इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दोनों देशों के लगभग 150 सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी. सूत्रों के अनुसार इस घटना में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे. न तो भारतीय सेना ने और न ही विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच बढ़ते तनाव पर कोई टिप्पणी की है. टकराव की हालिया दो घटनाओं पर विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह चीन से लगती सीमा पर शांति एवं स्थिरिता बनाए रखने को प्रतिबद्ध है और यदि सीमा के बारे में समान धारणा होती तो ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता था.

वर्ष 2017 में डोकलाम तिराहे क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 73 दिन तक गतिरोध चला था जिससे परमाणु अस्त्र संपन्न दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका उत्पन्न हो गई थी. भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा कही जाने वाली 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा पर विवाद है. चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है, जबकि भारत का कहना है कि यह उसका अभिन्न अंग है.

दोनों देश कहते रहे हैं कि लंबित सीमा मुद्दे के अंतिम समाधान होने तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरिता बनाए रखना आवश्यक है. चीन जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन किए जाने और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के भारत के कदम की निन्दा करता रहा है. लद्दाख के कई हिस्सों पर बीजिंग अपना दावा जताता है.

डोकलाम गतिरोध के महीनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच चीनी शहर वुहान में अप्रैल 2018 में पहला अनौपचारिक शिखर सम्मेलन हुआ था. शिखर सम्मेलन में, दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी सेनाओं को आपसी विश्वास और समझ के लिए संपर्क मजबूत करने के वास्ते ‘‘रणनीतिक दिशा-निर्देश” जारी करने का फैसला किया था. मोदी और शी के बीच दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन पिछले साल अक्टूबर में चेन्नई के पास ममल्लापुरम में हुआ था जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तारित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था.

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