चीन-नेपाल से विवाद के बीच भूटान ने भारतीय किसानों का रोका पानी! असम के टॉप अधिकारी ने बताया सच
नेपाल ने हाल ही में राजनीतिक नक्शा जारी किया और भारतीय क्षेत्रों को अपना हिस्सा बताया, इधर पूर्वी लद्दाख में भी चीन के साथ तनाव चरम पर है. इसी बीच, गुरुवार को खबर आयी कि भूटान ने भी भारतीय किसानों के लिए नदियों का पानी रोक दिया है. मगर यह बात सच नहीं है. भूटान द्वारा पानी रोकने की खबर फैली तो असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण ने मामला साफ किया.
नेपाल ने हाल ही में राजनीतिक नक्शा जारी किया और भारतीय क्षेत्रों को अपना हिस्सा बताया, इधर पूर्वी लद्दाख में भी चीन के साथ तनाव चरम पर है. इसी बीच, गुरुवार को खबर आयी कि भूटान ने भी भारतीय किसानों के लिए नदियों का पानी रोक दिया है. मगर यह बात सच नहीं है. भूटान द्वारा पानी रोकने की खबर फैली तो असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण ने मामला साफ किया. उन्होंने बताया कि ये बिल्कुल गलत सूचना है.
उन्होंने ट्वीट किया-‘भूटान द्वारा पानी रोके जाने की मीडिया रिपोर्ट बिल्कुल गलत है. पानी रोका नहीं गया था बल्कि नदी को साफ किया जा रहा था ताकि भारत के सिंचाई क्षेत्रों तक प्रवाह बनी रहे. भूटान ने नदी में जमी गंदगी (ब्लॉकेज) को साफ कर सच में भारत की मदद की है’. असम के शीर्ष अधिकारी ने अपने ट्वीट के साथ फोटो भी शेयर किया है.
Recent media reports about Bhutan blocking water supply to India has been incorrectly reported. The actual reason being the natural blockage of informal irrigation channels into Indian fields! Bhutan has been actually helping to clear the blockage. pic.twitter.com/H61c5T1EeJ
— Kumar Sanjay Krishna (@KrSanjayKrishna) June 25, 2020
बता दें कि गुरुवार को खबर आई कि भूटान ने असम के बक्सा जिले के किसानों का पानी रोक दिया है. बक्सा जिले के 26 से ज्यादा गांवों के करीब 6000 किसान सिंचाई के लिए डोंग परियोजना पर निर्भर हैं. वर्ष 1953 के बाद से किसान धान की सिंचाई भूटान की नदियों के पानी से करते रहे हैं. दो-तीन दिनों से बक्सा के किसान भूटान के इस कदम के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने रोंगिया-भूटान सड़क जाम की थी. किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार भूटान के सामने इस मुद्दे को उठाए.
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दरअसल, धान के मौसम में हर साल बक्सा के किसान भारत-भूटान सीमा पर समद्रूप जोंगखार इलाके में जाते हैं और काला नदी का पानी सिंचाई के लिए लाते हैं. मगर, इस वर्ष कोरोना महामारी संकट के कारण भूटान ने भारतीय किसानों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. यही गलतफहमी का कारण बना हुआ है. किसानों का कहना है कि जब सभी तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल फॉलो किए जा रहे हैं तो सिंचाई में क्या समस्या है. अभी इस मामले पर राज्य और केंद्र सरकार ने कोई अधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
पश्चिम बंगाल से अनानास नहीं जाएगा नेपाल
इस साल नेपाल के लोगों को पश्चिम बंगाल के अनानास का मीठा स्वाद चखने को नहीं मिलेगा. नेपाल के साथ नक़्शा विवाद के जोर पकड़ने के बाद बंगाल के उत्तरी हिस्से के अनानास उत्पादकों ने इस साल नेपाल को अनानास का निर्यात नहीं करने का फैसला किया है.बीबीसी के मुताबिक, बंगाल में अनानास के कुल उत्पादन का 80 फीसदी इसी इलाके में होता है और यहां से हर साल बड़े पैमाने पर नेपाल को इनका निर्यात किया जाता है. इस साल कोरोना और उसकी वजह से जारी लंबे लॉकडाउन की वजह से कीमतों में गिरावट से अनानास उत्पादकों को भारी नुकसान सहना पड़ा है. इस बार अनानास की बंपर पैदावार हुई थी. लेकिन उत्पादकों और व्यापारियों का कहना है कि अनानास भले आधी कीमत में बिके या खेतों में ही सड़ जाएं, इनको किसी भी कीमत पर नेपाल नहीं भेजा जाएगा.
Posted By: Utpal kant