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Indo Pacific Economic Framework: पीएम मोदी ने 3T पर दिया जोर, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कही ये बात

Indo Pacific Economic Framework: जापान की राजधानी टोक्यो में इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क मीट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देते हुए कहा कि हमारे बीच भरोसा, पारदर्शिता और समयबद्धता जरूरी है.

Indo Pacific Economic Framework: जापान की राजधानी टोक्यो में इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क मीट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देते हुए कहा कि हमारे बीच भरोसा, पारदर्शिता और समयबद्धता (3Ts – Trust, Transparency and Timeliness) जरूरी है. बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क और आईपीईएफ की शुरुआत आज दोपहर हुई.

जो बाइडन ने कही ये बात

वहीं, हिंद-प्रशांत व्यापार समझौता कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि इंडो-पैसिफिक समझौता दुनिया की आधी आबादी को कवर करता है. हम 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था के लिए नए नियम लिख रहे हैं. हम सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं का तेजी से और निष्पक्ष विकास करने जा रहे हैं.

इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक मॉडल के निर्माण के लिए काम करेगा भारत: मोदी

इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क इवेंट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत एक समावेशी लचीला इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक मॉडल के निर्माण के लिए सभी के साथ काम करेगा. उन्होंने कहा कि हमारे बीच भरोसा, पारदर्शिता, समयबद्धता होनी चाहिए. यह इंडो पैसिफिक क्षेत्र में विकास, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा. इस इवेंट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने टोक्यो में इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क इवेंट में भाग लिया. वहीं, जापान के पीएम फुमियो किशिदा ने कहा कि जापान, अमेरिका और क्षेत्रीय भागीदारों के सहयोग से हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिर समृद्धि में योगदान दे रहा है.

अर्थव्यवस्थाओं की अधिक निकटता से कार्य करने में मिलेगी मदद: व्हाइट हाउस

इससे पहले व्हाइट हाउस ने कहा कि नया हिंद-प्रशांत व्यापार समझौता आपूर्ति शृंखला, डिजिटल व्यापार, स्वच्छ ऊर्जा, कर्मचारी सुरक्षा और भ्रष्टाचार निरोधी प्रयासों सहित विभिन्न मुद्दों पर अमेरिका और एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की अधिक निकटता से काम करने में मदद करेगा. हालांकि, इसके प्रावधानों को लेकर सदस्य देशों के बीच सहमति बनना बाकी है, जिससे प्रशासन के लिए अभी यह बता पाना मुश्किल है कि समझौता वैश्विक जरूरतों को पूरा करते हुए अमेरिकी श्रमिकों और व्यवसायों की मदद करने के वादे को कैसे पूरा कर सकता है.

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