Indonesia Earhquake: एक महीने में दूसरी बार भूकंप के झटके से हिला इंडोनेशिया, तीव्रता 6.1
इंडोनेशिया में एक ही महीने में दो बार भूकंप के झटके महसूस किये गए है. इससे पहले 10 जनवरी को यहां भूकंप के झटके महसूस हो चुके हैं. मंगलवार को आये भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.7 मापी गयी थी. जबकि, आज आये इस भूकंप की तीव्रता 6.1 मापी गयी है.
Indonesia Earthquake: इंडोनेशिया के उत्तरी सुमात्रा में आज सुबह रिक्टर स्केल के हिसाब से 6.1 तीव्रता के झटके महसूस किये गए. इस भूकंप की पुष्टि नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने की है. इस भूकंप के बाद यूरोपियन मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर ने बताया कि आने वाले कुछ ही घंटों या दिनों एक अंदर और भी झटके महसूस किये जा सकते हैं. केवल यही नहीं यूरोपियन मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर ने लोगों को क्षतिग्रस्त क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह भी दी है. बता दें जनवरी के महीने में इंडोनेशिया में यह दूसरी भूकंप की घटना है. इससे पहले भी यहां 10 जनवरी को 7.7 तीव्रता के झटके महसूस किये जा चुके हैं.
10 जनवरी को आया पहला भूकंप
बता दें जनवरी के महीने में इंडोनेशिया में यह दूसरी भूकंप की घटना है. इससे पहले 10 जनवरी को भी इंडोनेशिया के तनिंबर क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किये जा चुके है। रिक्टर स्केल में इस भूकंप की तीव्रता 7.7 मापी गयी थी. इस झटके की जानकारी यूरोपियन मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर ने एक ट्विटर पोस्ट के जरिये दी. उन्होंने अपने पोस्ट में बताया कि 10 तारीख को आये इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.7 मापी गयी थी. यूरोपियन मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर के मुताबिक, यह झटके धरती के सतह के 97 किलोमीटर नीचे आये थे.
2000 किलोमीटर दूर तक महसूस किये गए भूकंप के झटके
यूरोपियन मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर की माने तो यह भूकंप तुआल से 342 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में आया था और इसके 2,000 किलोमीटर दूर तक महसूस किये गए थे. इस भूकंप के झटके को ऑस्ट्रेलिया, तिमोर लेस्ते और इंडोनेशिया में रहने वाले लगभग 1.4 करोड़ लोगों ने महसूस किया है. यूरोपियन मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर ने ट्वीट कर बताया कि इस भूकंप की पुष्टि भूकंपीय डेटा द्वारा की गयी है. बता दें यूरोपियन मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर ने आगे बताते हुए यह भी कहा है कि आने वाले कुछ ही घंटों या दिनों के अंदर यह भूकंप के झटके फिर से महसूस किये जा सकते हैं और इसी वजह से लोगों को क्षतिग्रस्त क्षेत्रों से दूर रहने की भी सलाह दी गयी है.