जहां एक ओर इजराइल और हमास के बीच युद्ध लगातार तेरह दिनों से जारी है. वहीं ईरान से जुड़ी एक खबर सामने आ रही है जो चर्चा का केंद्र बन चुकी है. दरअसल, ईरान ने किंडरगार्टन और प्राइमरी स्कूल में अंग्रेजी, अरबी समेत सभी विदेशी भाषाओं को पढ़ाने पर रोक लगाने का काम किया है. इस संबंध में एक आदेश जारी किया गया है और तत्काल प्रभाव से रोक इसपर लगा दी गई है. सरकारी मीडिया की रिपोर्ट पर नजर डालें तो, शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी मसूद तेहरानी-फरजाद ने इस बाबत जानकारी साझा की है. फरजाद की ओर से कहा गया कि किंडरगार्टन, नर्सरी और प्राइमरी स्कूलों में विदेशी भाषाओं को पढ़ाने पर बैन लगा दिया गया है. इस फैसले के पीछे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि उक्त फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इस उम्र में बच्चे की ईरानी पहचान डेवलप हो रही होती है.
यहां चर्चा कर दें कि ईरान ने 2018 में ही प्राथमिक स्कूलों में अंग्रेजी पढ़ाने पर रोक लगाने का काम किया था, लेकिन यह माध्यमिक विद्यालय से पढ़ाई जाती है. इस संबंध में जानकारी देते हुए मसूद तेहरानी-फरजाद ने कहा कि विदेशी भाषाओं के पढ़ाने पर प्रतिबंध न केवल अंग्रेजी, बल्कि अरबी सहित दूसरी भाषाओं पर भी लागू किया जाएगा. यहां बताते चलें कि फारसी ही ईरान की एकमात्र आधिकारिक भाषा है जिसे पढ़ाई में अहमियत दी जा रही है. जून 2022 की बात करें तो इस वक्त ईरान के शिक्षा मंत्रालय ने देश भर के स्कूलों में फ्रेंच पढ़ाने का ट्रायल शुरू करने के संकेत दिये थे. अंग्रेजी भाषा के एकाधिकार को खत्म करने के मकसद से उपरोक्त कदम उठाया गया.
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इंटरनेशनल स्कूलों को लेकर भी किया गया फैसला
यही नहीं, सितंबर में देश ने ईरानी या ड्युअल-नेशनल स्टूडेंट्स के इंटरनेशनल स्कूलों में जाने पर बैन लगाने का फैसला लिया गया था जिसकी चर्चा भी पूरी दुनिया में हुई थी. इस फैसले के पीछे की वजह बताते हुए कहा गया था कि बच्चों पर देश के स्कूल करिकुलम का पालन करने का दायित्व है. रिपोर्ट पर नजर डालें तो, इस फैसले के कारण तेहरान के फ्रांसीसी और जर्मन इंस्टीट्यूट्स सहित कुछ अंतरराष्ट्रीय स्कूलों में छात्रों की संख्या में अचानक गिरावट देखने को मिली थी. दूसरी ओर, ईरान में महिला अधिकारों, लोकतंत्र और मृत्युदंड के खिलाफ वर्षों से लगातार संघर्ष करने वाली नरगिस मोहम्मदी को लेकर एक खबर आई. जी हां…उन्हें इस वर्ष के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने का ऐलान किया गया. वह इस समय जेल की सलाखों के अंदर हैं. मोहम्मदी वो नाम है जो अपने आंदोलन की वजह से बार-बार गिरफ्तार होने और जेल जाने के बाद भी अपना काम जारी रखे हुए हैं.