Israel-Hamas war: गाजा में मारे गए इजराइली सैनिकों में भारतीय मूल का सैनिक भी शामिल, जॉर्डन ने लिया ये फैसला
Israel-Hamas war: भारतीय समुदाय के सदस्यों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, वह (सोलोमन) अच्छे व्यवहार वाले युवक थे और उनका भविष्य बहुत उज्ज्वल था. उन्होंने सोलोमन के निधन और “इजरायल के अस्तित्व के लिए युद्ध लड़ रहे” अन्य युवा इजरायलियों की मौत पर शोक व्यक्त किया.
Israel-Hamas war: गाजा में जारी युद्ध में मारे गए इजराइली सैनिकों में भारतीय मूल का 20 वर्षीय सैनिक भी शामिल है. भारतीय समुदाय के सदस्यों और डिमोना शहर के मेयर ने इस बाबत जानकारी दी है. स्टाफ सर्जेंट हलेल सोलोमन दक्षिण इजराइल के डिमोना शहर से संबंध रखते थे. मेयर बेनी बिटन ने फेसबुक पर लिखा कि हम अत्यंत दु:ख के साथ गाजा में जारी युद्ध में डिमोना के निवासी हलेल सोलोमन की मृत्यु की घोषणा करते हैं. उन्होंने लिखा कि हम माता-पिता रोनित और मोर्दचाई, और बहनों: यास्मीन, हिला, वेरेड और शेक्ड के दुःख में शामिल हैं…. हेलेल सेवा की इच्छा से गिवती (ब्रिगेड) में भर्ती हुए थे. हलेल एक समर्पित व्यक्ति थे. पूरा डिमोना शहर उनके निधन पर शोक में डूबा है. डिमोना को कुछ लोग ‘लिटिल इंडिया’ भी कहते हैं, क्योंकि इस शहर में बड़ी संख्या में भारत से आए यहूदी रहते हैं. भारतीय समुदाय के सदस्यों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, वह (सोलोमन) अच्छे व्यवहार वाले युवक थे और उनका भविष्य बहुत उज्ज्वल था. उन्होंने सोलोमन के निधन और “इजरायल के अस्तित्व के लिए युद्ध लड़ रहे” अन्य युवा इजरायलियों की मौत पर शोक व्यक्त किया. गाजा में जारी युद्ध के दौरान कम के कम 11 इजराइली सैनिकों की मौत हो चुकी है.
जॉर्डन ने इजराइल से अपने राजदूत को वापस बुलाया
अमेरिका के प्रमुख सहयोगी जॉर्डन ने गाजा में “मानवीय आपदा” का विरोध करते हुए इजराइल से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है और इजराइली राजदूत को उनके देश लौटने के लिए कहा है. जॉर्डन के उप प्रधानमंत्री तथा विदेश मंत्री अयमन अल-सफदी ने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि इजराइल गाजा में युद्ध और उसकी वजह से हो रहे नुकसान को रोके. जॉर्डन ने 1994 में इजराइल के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और मिस्र के बाद ऐसा करने वाला वह दूसरा अरब देश बन गया था.
इजराइल-हमास युद्ध में 34 पत्रकारों की मौत होने का दावा
मीडिया की आजादी के लिए काम करने वाले एक एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने बुधवार को कहा कि इजराइल और हमास के बीच युद्ध में 34 पत्रकार मारे गए हैं. इसके साथ ही समूह ने दोनों पक्षों पर युद्ध अपराधों में शामिल रहने का आरोप लगाया है. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक इस संगठन ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) के अभियोजकों से पत्रकारों की मौतों की जांच करने का आह्वान किया. संगठन ने कहा कि उसने पहले ही गाजा पट्टी में नागरिक क्षेत्रों पर इजराइल की बमबारी में आठ फलस्तीनी पत्रकारों और हमास के हमले में एक इजराइली पत्रकार के मारे जाने की शिकायत दर्ज करायी है.
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संगठन के महानिदेशक क्रिस्टोफ डेलॉयर ने कहा कि खास कर गाजा में पत्रकारों को जिस तरह से निशाना बनाया गया है, उसकी आईसीसी के अभियोजकों द्वारा प्राथमिकता से जांच किए जाने की जरूरत है. इस संगठन का मुख्यालय फ्रांस में है. इस बीच मीडिया की आजादी के लिए काम करने वाले एक अन्य संगठन कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने बुधवार को कहा कि उसने युद्ध में पत्रकारों के ‘मारे जाने, घायल होने, हिरासत में लिए जाने या लापता होने’ की खबरों की जांच की है. संगठन ने कहा कि प्रारंभिक जांच के अनुसार इस युद्ध में कम से कम 31 पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की मौत हुई है.
इजराइल ने बनाया शरणार्थी शिविर को निशाना
गाजा की तीन सप्ताह से अधिक समय से जारी घेराबंदी के बीच पहली बार फलस्तीनियों को शहर छोड़ने की अनुमति दी गई, जहां बुधवार को दूसरे दिन भी इजरायली हवाई हमलों में एक शरणार्थी शिविर को निशाना बनाया गया. फलस्तीन क्रॉसिंग अथॉरिटी के प्रवक्ता वईल अबू उमर के अनुसार, बिगड़ती परिस्थितियों के बीच, बुधवार दोपहर तक 110 विदेशी पासपोर्ट धारकों को गाजा से बाहर जाने की अनुमति दी गई. उमर के अनुसार, 335 विदेशी पासपोर्ट धारकों को ले जाने वाली छह बस बुधवार की दोपहर तक राफा क्रॉसिंग के जरिए गाजा से मिस्र के लिए रवाना हुईं. प्राधिकरण ने कहा कि इस योजना के तहत 400 से अधिक विदेशी पासपोर्ट धारकों के मिस्र जाने की अनुमति दी गई थी.