12 साल बाद इजरायल की सत्ता से बेदखल हुए बेंजामिन नेतन्याहू, जानें क्या होगी नयी बेनेट सरकार की चुनौतियां

Israeli Prime Minister Netanyahu: इजरायल को 12 साल बाद एक नया प्रधानमंत्री मिला है. इजरायल की संसद ने रविवार को एक नई गठबंधन की सरकार को मंजूरी दी, जिससे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का कार्यकाल समाप्त हो गया. नाफ्ताली बेनेट अब इजरायल के नये प्रधानमंत्री बनाये गये हैं. वह एक छोटे राष्ट्रीय पार्टी के चीफ है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2021 6:56 AM
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इजरायल को 12 साल बाद एक नया प्रधानमंत्री मिला है. इजरायल की संसद ने रविवार को एक नई गठबंधन की सरकार को मंजूरी दी, जिससे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) का कार्यकाल समाप्त हो गया. नाफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) अब इजरायल के नये प्रधानमंत्री बनाये गये हैं. वह एक छोटे राष्ट्रीय पार्टी के चीफ है.

हालांकि नया प्रधानमंत्री बनने के बाद भी इजरायल में राजनीतिक संकट खत्म नहीं हुआ है. क्योंकि नये प्रधानमंत्री नाफ्ताली बेनेट को सदन में सिर्फ 60 वोट मिले हैं और जीत का अंतर सिर्फ एक वोट का है. इसलिए नाफ्ताली बेनेट को बड़ी ही सूझबूझ के साथ सबको साथ लेकर सरकार चलाना होगा. उन्हें अपनी सरकार बचाने के लिए गठबंधन पार्टीयों को हमेशा खुश रखना होगा.

नाफ्ताली बेनेट को बेनेट को सत्ता में लाने के लिए आठ पार्टियों समेत अरब गुट की एक पार्टी से समर्थन किया है. नयी गठबंधन सरकार में शामिल पार्टियों को उम्मीद है की नये प्रधानमंत्री फ्लिस्तीनीयों के साथ बेहतर संबंध बनायेंगे साथ ही अमेरिका से भी और अच्छे संबंध बनेंगे.

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जिस वक्त वोटिंग वो रही थी उस वक्त नेतन्याहू शांत बैठे हुए थे. इसके बाद फैसला आने पर उन्होंने फैसले को स्वीकार भी किया. हालांकि बाहर निकलने से पहले वो कुछ देर विपक्ष की कुर्सी पर भी बैठे. चुनाव हारने के बाद अब नेतन्याहू विपक्षी की कुर्सी पर पर बैठेंगे.

नयी सरकार को पता है कि अगर एक भी गठबंधन में शामिल एक भी नेता उसके खिलाफ जाता है तो उसकी सरकार गिर सकती है और फिर से वापस नेतन्याहू को मौका मिल सकता है. बेंजामिन नेतन्याहू पर भ्रष्ट्राचार के गंभीर मुकदमे चल रहे हैं, इसके बाद भी वो संसद की सबसे बड़ी पार्टी के नेता है. इसलिए उम्मीद की जा रही है कि नयी सरकार को किसी भी मसले पर सदन में भारी विरोध हो सकता है.

वोट से पहले जब बेनेट देश को संबोधित कर रहे थे उनके भाषण में देश के विभाजन का दर्द था, हालांकि नेतन्याहू के समर्थक बार बार उनका विरोध कर रहे थे. बेनेट का भाषण ज्यादातर घरेलू मुद्दों पर था, लेकिन उन्होंने विश्व शक्तियों के साथ ईरान के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के अमेरिकी प्रयासों का विरोध किया.

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बेनेट ने ईरान के खिलाफ नेतन्याहू सरकार की नीति को जारी रखने की कसम खायी और कहा कि “इज़राइल ईरान को परमाणु हथियारों से लैस नहीं होने देगा. साथ ही कहा कि “इजरायल समझौते के लिए एक पक्ष नहीं होगा और कार्रवाई की पूर्ण स्वतंत्रता को बनाए रखना जारी रखेगा. अपने भाषण में बेनेट ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन का धन्यवाद किय और कहा की अमेरिका कई दशकों को इजरायल की मदद करता आया है.

इसके बाद नेतन्याहू ने बोलते हुए कहा कि नयी सरकार की नीति ईरान के खिलाफ कमजोर हो सकती है. साथ ही फ्लिस्तीनियों को छूट देने की अमेरिकी मांग को स्वीकार कर सकती है. नेतन्याहू ने कहा कि अगर मेरी किस्मत में विपक्ष में बैठना लिखा है तो मैं विपक्ष में बैठूंगा पर सरकार की देशविरोधी नीतियों का हमेशा विरोध करूंगा.

इज़राइल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष योहानन प्लास्नर ने कहा भले ही नयी सरकार बहुमत के हिसाब से कमजोर है पर यह स्थिर रहेगी. उन्होंने कहा कि भले ही बेनेट के पास बहुत कम बहुमत है, लेकिन इसे गिराना और बदलना बहुत मुश्किल होगा क्योंकि विपक्ष एकजुट नहीं है.

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Posted By: Pawan Singh

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