Tulsi Gabbard: जो बाइडन की पार्टी पर नस्लभेद का आरोप, अमेरिकी हिंदू सांसद नेे दिया इस्तीफा, देखें वीडियो

सोशल मीडिया के जरिए गबार्ड ने बताया कि डेमोक्रेटिक पार्टी में लोग अब युद्ध की बात करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी में कई लोग अब नश्लभेद का समर्थन करने लगे हैं, जोकि श्वेत लोगों का विरोध हैं.

By Piyush Pandey | October 12, 2022 10:10 AM

अमेरिका की हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड इन दिनों चर्चा में हैं. दरअसल, गबार्ड ने अमेरिकी सत्ताधारी पार्टी डेमोक्रेटिक पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी पर यह आरोप लगाया कि पार्टी अब एलीट लोगों के नियंत्रण में कार्य कर रही है, जो नश्लिय भेदभाव को बढ़ावा देता है. हालांकि, उन्होंने अबतक यह रुख साफ नहीं किया है कि उनका अगला कदम क्या होगा.


वीडियो के माध्यस से इस्तीफे की दी जानकारी

तुलसी गबार्ड ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए पार्टी से इस्तीफे की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि, पार्टी गलत विचारधारा के साथ आगे बढ़ रही है. वहीं, उनकी तरह सोच रखने वाले लोगों से उन्होंने पार्टी छोड़ने की अपील की है. बता दें कि गबार्ड दो साल पहले डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति की उम्मीदाव भी रह चुकी हैं. इसके साथ ही उन्होंने, अमेरिकी संसद के नीचले सदन के नेता के तौर पर अपनी सेवाएं दी हैं.

पार्टी पर नश्लभेद का समर्थन करती है- गबार्ड

सोशल मीडिया के जरिए गबार्ड ने बताया कि डेमोक्रेटिक पार्टी में लोग अब युद्ध की बात करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी में कई लोग अब नश्लभेद का समर्थन करने लगे हैं, जोकि श्वेत लोगों का विरोध हैं. हालांकि, गबार्ड ने अपने वीडियो में यह नहीं बताया कि उनका आगे का निर्णय क्या है. अमेरिका में जन्मी तुलसी गबार्ड का भारत से कोई रिश्ता नहीं रहा है. उनका जन्म 12 अप्रेैल 1981 को हुआ.

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पार्टी पर जमकर साधा निशाना

तुलसी गबार्ड ने ट्वीट पर मंगलवार को एक पोस्ट किया. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा, मैं अब आज की डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ नहीं रह सकती. जो अब हर मुद्दे को नस्लीय बनाकर हमें विभाजित करते हैं और श्वेत-विरोधी नस्लवाद को भड़काते हैं. उन्होंने अगे कहा, मैं एक ऐसी सरकार में विश्वास करती हूं जो लोगों की, उनके द्वारा और जनता के लिए है. दुर्भाग्य से, आज की डेमोक्रेटिक पार्टी ऐसा नहीं करती है. बता दें कि गबार्ड को साल 2013 में संसद के निचले सदन का सदस्य चुना गया था. इसके बाद उन्हें लगातार 4 सदस्य चुना गया.

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