अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के एक फैसले ने अफगानिस्तान पर फिर से तालिबनी राज स्थापित कर दिया.इधर अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद भारत-अमेरिका समेत दुनिया के कई देश वहां से अपने लोगों को निकालने में लगे हैं. एएफपी समाचार एजेंसी के मुताबिक अमेरिका ने अबतक 3,200 लोगों को निकाल लिया है. वहीं और लोगों को निकालने की प्रक्रिया भी जारी है.
इससे पहले काबुल में कोहराम की तस्वीरें सामने आने के बाद वहां फैले राजनीतिक संकट पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए अमेरिका राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा था कि, सेना वापसी के फैसले पर अभी भी अड़ा हूं, उनकी तर्क था कि राष्ट्र निर्माण अमेरिका का मिशन नहीं था. इस दौरान उन्होंने 16 अगस्त को सेना वापसी के अपने फैसले का समर्थन किया और अफगान सरकार की आलोचना की.
गौरतलब है कि पिछले 20 सालों के लंबे संघर्ष के बाद अमेरिका की अगुवाई वाली विदेशी फौजों की अफगानिस्तान से वापसी हुई है.इसके साथ ही तालिबान को दोबारा पैर फैलाने का मौका मिल गया. अंततः अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी को सत्ता से बेदखल कर तालिबान ने पूरे देश का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है. हाल में तालिबान और अमेरिका के बीच हुए समझौते के बाद सैनिकों की वापसी शुरू हुई थी. इस संघर्ष में हजारों मौतें हुईं और लाख लोग विस्थापित हुए हैं.
अफगानिस्तान पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद तालिबान ने शांति व्यवस्था का वादा किया है, लेकिन लोगों को डर है कि इसका एकमात्र परिणाम विकराल गृहयुद्ध ही होगा.दो दशकों से जारी युद्ध से अमेरिका के पीछे हटने के साथ ही अफगानिस्तान अब नयी दिशा में मुड़ गया है. इस युद्ध में अरबों डॉलर खर्च हुए, हजारों मारे गये और लाखों लोग विस्थापन का अंतहीन दर्द झेलने को विवश कर दिये गये.
गौरतलब है कि,जो बाइडेन के इस फैसले की पूरी दुनिया में निंदा हो रही है.वो भले ही अपने फैसले पर अड़े हैं,लेकिन दुनिया भर में उनके इस फैसले को गलत करार दिया जा रहा है. कई अखबारों ने भी उनकी निंदा की है.न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार ने इसे अफगानिस्तान में अमेरिकी प्रयोग का शर्मिंदगी भरा अध्याय बताया और बाइडेन को इसका लेखक कहा. वहीं, वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस घटनाक्रम को बाइडेन का सरेंडर बताते हुए अखबार ने उनके बयान ‘अफगानिस्तान पतन के लायक ही है’को शर्मनाक बताया.
इधर,अफगानिस्तान में पूरी तरह तालिबान का कब्जा होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन से भी इसकी चर्चा की. उन्होंने अफगानिस्तान संकट पर जी 7नेताओं के आभासी शिखर सम्मेलन की घोषणा की है.बता दें, तालिबान की अचानक जीत ने अफगानिस्तान से लोग बड़े पैमाने पर पश्चिमी यूरोप सहित अन्य देशों में शरण ले रहे हैं.
Posted by: Pritish Sahay