ब्रिटेन की लिज ट्रस सरकार ने टैक्स कटौती के फैसले पर लिया यू टर्न, दवाब के आगे झुकी सरकार
ब्रिटेन में लिज ट्रस सरकार की उच्च आय वाले तबके को आयकर की ऊंची दर से राहत देने की 10 दिनों पहले की गई घोषणा का व्यापक स्तर पर विरोध हो रहा था. इससे सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के संसद सदस्य भी खुश नहीं थे और वे इसे वापस लेने का लगातार दबाव डाल रहे थे.
ब्रिटेन की सरकार ने विवाद गहराने के बाद पिछले महीने घोषित टैक्स कटौती पैकेज के प्रावधान को वापस लेने की घोषणा की है. बता दें, सरकार ने अमीरों पर टैक्स की ऊंची दर में कटौती की बात कही थी. जिसका विरोध शुरु हो गया था. वहीं, बढ़ते विरोध को देखते हुए ब्रिटेन के वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग ने आज यानी सोमवार को कहा कि 1.5 लाख पौंड से अधिक इनकम वालों पर 45 फीसदी की दर से आयकर लगने के प्रावधान को नहीं हटाया जाएगा.
टैक्स राहत की घोषणा का हो रहा था विरोध: दरअसल, उच्च आय वाले तबके को आयकर की ऊंची दर से राहत देने की 10 दिनों पहले की गई घोषणा का व्यापक स्तर पर विरोध हो रहा था. इससे सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के संसद सदस्य भी खुश नहीं थे और वे इसे वापस लेने का लगातार दबाव डाल रहे थे. ब्रिटिश वित्त मंत्री ने ‘बीबीसी’ के साथ बातचीत में कहा, “ब्रिटेन को आर्थिक मजबूती की राह पर ले जाने के हमारे अभियान में यह कर कटौती एक बड़ा व्यवधान बन गया था. अब हमारा ध्यान उच्च वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है जिसमें विश्व-स्तरीय सार्वजनिक सेवाओं के लिए वित्त उपलब्ध हो, पारिश्रमिक बढ़े और नए रोजगार अवसर भी पैदा हों.
लिज ट्रस न किया था बचाव: पिछले महीने प्रधानमंत्री पद संभालने वालीं लिज ट्रस ने एक दिन पहले ही अपनी सरकार की तरफ से घोषित कर कटौती योजना का पुरजोर बचाव करते हुए कहा था कि उनकी सरकार इस योजना पर आगे बढ़ना जारी रखेगी. हालांकि उन्होंने यह माना था कि इस फैसले के पहले थोड़ी जमीन तैयार कर लेनी चाहिए थी. ट्रस की सरकार ने गत 23 सितंबर को एक राहत पैकेज की घोषणा की थी जिसमें 45 अरब पौंड की कर कटौतियां भी शामिल थीं. इस घोषणा के बाद न सिर्फ ब्रिटिश बाजार में गिरावट देखी गई बल्कि डॉलर के मुकाबले पौंड की कीमत में भी खासी कमी आई है.
सरकार की तरफ से व्यापक स्तर पर उधारी लिए जाने की आशंका गहराने के बाद बैंक ऑफ इंग्लैंड को पौंड को संभालने के लिए बॉन्ड पुनर्खरीद की घोषणा करनी पड़ी थी. ट्रस ने अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के वादे के साथ पिछले महीने प्रधानमंत्री पद संभाला था. लेकिन उनकी सरकार के पहला महीना ही विवादों में घिर गया.