चीन से दोस्ती करके बुरे फंसे मालदीव के राष्ट्रपति? चौतरफा घिरे मोहम्मद मुइज्जू, खतरे में कुर्सी
मालदीव के राष्ट्रपति भारत की खिलाफत तो कर रहे हैं, पर इसके साथ ही वह चीन की चमचागिरी भी कर रहे हैं. इसके बाद मोहम्मद मुइज्जू चौतरफा घिर चुके हैं और उनकी कुर्सी खतरे में है.
माले; भारत विरोधी अपनी नीतियों और बयानों से चौतरफा घिरे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की कुर्सी पर संकट मंडराने लगा है. मालदीव की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी एमडीपी मुइज्जू के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकती है. इसके बाद मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होगी. महत्वपूर्ण बात यह है कि पूर्व राष्ट्रपति सोलिह की पार्टी एमडीपी को संसद के अंदर बहुमत हासिल है. मालदीव के जूमहूरे पार्टी के नेता कासिम इब्राहिम ने कहा है कि मुइज्जू को भारत के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से जुबानी हमला करने के लिए आवश्यक रूप से नयी दिल्ली से माफी मांगना होगा. मालदीव की मीडिया ‘सन डॉट कॉम’ ने एमडीपी के एक सांसद के हवाले से कहा, एमडीपी ने डेमोक्रेट के साथ साझेदारी में महाभियोग प्रस्ताव के लिए पर्याप्त संख्या में हस्ताक्षर करा लिये हैं. ‘द एडिशन डॉट एमवी’ के अनुसार, एमडीपी के संसदीय समूह की सोमवार को हुई बैठक में महाभियोग प्रस्ताव को जमा करने का फैसला सर्वसम्मति से किया गया.
महाभियोग के लिए 54 वोटों की जरूरत, विपक्ष के पास 56
मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए 54 वोटों की जरूरत है. जबकि विपक्षी एमडीपी के पास 56 सांसद हैं. बता दें कि पिछले साल नियमों में बदलाव करके संसद को यह अधिकार दिया गया था कि सबसे बड़ी पार्टी एमडीपी बिना अल्पसंख्यक पार्टियों के समर्थन के मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है. एमडीपी और डेमोक्रेट्स ने कहा कि भारत सबसे ज्यादा समय से हमारा सहयोगी रहा है. ऐसे किसी देश को दरकिनार करना देश के विकास के लिए सही नहीं है.
चीन की चमचागिरी नहीं आ रही विपक्ष को पसंद
मालदीव के राष्ट्रपति भारत की खिलाफत तो कर रहे हैं, पर इसके साथ ही वह चीन की चमचागिरी भी कर रहे हैं. उनकी यह बात मालदीव की जनता और विरोधी पार्टियों को पसंद नहीं आ रही है. मुइज्जू ने भारत के साथ हाइड्रोग्राफी समझौता खत्म करके चीन से हाथ मिला लिया है. चीन का जासूसी जहाज मालदीव पहुंचने वाला है. लोगों का कहना है कि श्रीलंका को चीन के जाल में फंसकर बहुत बड़ी सीख मिली है. उनके ऊपर चीन का कर्ज बहुत अधिक है. इस चक्कर में वे अपनी जमीन खो रहे हैं.