बाढ़ और भूस्खलन से कांगो में 400 से अधिक लोगों की मौत, बचाव दल की तलाश जारी
कांगो में पिछले गुरुवार को भारी बारिश के बाद नदियों में बाढ़ आ गई और बाढ़ के पानी से उनके तटबंध टूटने लगे. इससे नदियों के किनारे बसे गांवों के घर बाढ़ की पानी में बह गए. प्रकृति का यह कहर कांगो में दक्षिण किवु और खास तौर पर बुशुशु और न्यामकुबी गांवों को काफी प्रभावित किया है.
किंशासा : कांगो में पिछले हफ्ते आई बाढ़ और उसके बाद के भूस्खलन से 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ और भूस्खलन के बाद बचावकर्मियों और परिवार के सदस्यों ने मलबे और मिट्टी में दबे लोगों को बचाने का भरपूर प्रयास किया. हालांकि, बचाव दल का अभियान जारी है.
बाढ़ के पानी में बह गए गांव
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कांगो में पिछले गुरुवार को भारी बारिश के बाद नदियों में बाढ़ आ गई और बाढ़ के पानी से उनके तटबंध टूटने लगे. इससे नदियों के किनारे बसे गांवों के घर बाढ़ की पानी में बह गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रकृति का यह कहर कांगो में दक्षिण किवु और खास तौर पर बुशुशु और न्यामकुबी गांवों को काफी प्रभावित किया है.
हमेशा खड़ा रहता है मानवीय संकट
न्यूयॉर्क टाइम्स ने दक्षिण किवु में एक नागरिक समाज समूह के प्रतिनिधि रेमी कासिंदी से बात की. इस बातचीत में उन्होंने कहा कि स्थिति काफी भयावह हे. उन्होंने कहा कि यह एक मानवीय संकट है, जिससे हम हमेशा परेशान रहते हैं. रेमी कासिंदी ने स्थिति की भयावहता को बयान करते हुए कहा कि हालात इतने भयावह थे कि बाढ़ और भूस्खलन थमने के बाद बचाव दल की सहायता से किवु के लोगों ने कीचड़ और मलबे से अपने परिजनों के शव को बाहर निकाला. इतना ही नहीं, कई शव तो किवु झील से भी निकाले गए हैं.
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सोमवार को मनाया गया शोक दिवस
रिपोर्ट के अनुसार, मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त कार्यल ने कहा कि करीब बाढ़ और भूस्खलन से करीब 3000 परिवार बेघर हो गए. उनके मकान बाढ़ के पानी में बह गए. कार्यालय ने कहा कि कम से कम 1200 घर तो ऐसे हैं, जो पूरी तरह से नष्ट हो गए. सोमवार को इस प्राकृतिक आपदा में मारे गए लोगों के लिए शोक दिवस मनाया गया. बचावकर्मियों के अनुसार, बाढ़ से पहले इस क्षेत्र के लोग अपने कृषि उत्पादों को बेचने के लिए बाजार गए हुए थे, जिससे बाढ़ में लापता लोगों की गिनती करना मुश्किल हो गया.