अहमदिया मुस्लिम समुदाय की 70 साल पुरानी मस्जिद गिराई गई, जानिए क्यों
Muslim: इस मस्जिद का निर्माण जफरुल्लाह खान ने करवाया था. मस्जिद को गिराने की कार्रवाई के दौरान रात में इलाके की बिजली काट दी गई और पुलिस की निगरानी में ढांचा तोड़ा गया.
Muslim: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिन्दू और सिख समुदाय पर अत्याचार की खबरें अक्सर सुर्खियों में रहती हैं. इसके अलावा, देश में एक मुस्लिम समुदाय ऐसा भी है जिसे सरकारी उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. हाल ही में पंजाब प्रांत के दसका इलाके में प्रशासन ने अहमदिया मुस्लिम समुदाय की 70 साल पुरानी मस्जिद को गिरा दिया. यह मस्जिद पाकिस्तान के पहले विदेश मंत्री जफरुल्लाह खान द्वारा बनवाई गई थी और अहमदिया समुदाय के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल मानी जाती थी. प्रशासन ने इसे अवैध घोषित कर तोड़ दिया, दावा किया गया कि मस्जिद 13 फीट तक सड़क पर अतिक्रमण कर रही थी.
इस मस्जिद का निर्माण पाकिस्तान की आजादी से पहले हुआ था. जफरुल्लाह खान, जो 1947 से 1954 तक देश के पहले विदेश मंत्री रहे, ने अपने पैतृक शहर दसका में इसे बनवाया था. वे अहमदिया समुदाय के सदस्य थे और विभाजन से पहले वकील के तौर पर अहमदियों के अधिकारों की वकालत करते थे. मस्जिद को गिराने का नोटिस दिए जाने के मात्र दो दिन बाद इसे ध्वस्त कर दिया गया. समुदाय के लोगों का कहना है कि वे अतिक्रमण हटाने को तैयार थे, फिर भी प्रशासन ने जल्दबाजी में कार्रवाई की. मस्जिद को गिराने की कार्रवाई के दौरान रात में इलाके की बिजली काट दी गई और पुलिस की निगरानी में ढांचा तोड़ा गया.
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अहमदिया मुस्लिम समुदाय पर अत्याचार का यह कोई नया मामला नहीं है. ‘डॉन’ अखबार के अनुसार, वर्ष 2024 के दौरान पंजाब प्रांत में अहमदियों के 20 से अधिक धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया है. समुदाय के लोगों का कहना है कि सरकार उन्हें चरमपंथियों से बचाने के बजाय उनकी मस्जिदों को गिराने में लगी हुई है. जमात अहमदिया पाकिस्तान के प्रवक्ता आमिर महमूद ने आरोप लगाया कि सरकार अहमदिया समुदाय की संपत्ति को लगातार निशाना बना रही है और उनकी शिकायतों की अनदेखी कर रही है.
पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय को मुसलमान नहीं माना जाता. 1974 में एक संविधान संशोधन के जरिए उन्हें गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया गया था. इसके बाद से ही इस समुदाय पर अत्याचार और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने की घटनाएं बढ़ गईं. न केवल पाकिस्तान में, बल्कि भारत में भी अहमदिया समुदाय को कट्टरपंथियों का सामना करना पड़ता है और मुस्लिम समाज उन्हें अपनाने से इनकार करता है.
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अहमदिया समुदाय की स्थापना मिर्जा गुलाम अहमद ने की थी, जिनका जन्म पंजाब के कादियान में हुआ था. उन्होंने 1889 में लुधियाना में खुद को खलीफा घोषित किया. समुदाय के लोग गुलाम अहमद को मोहम्मद के बाद नबी मानते हैं, जबकि बाकी मुस्लिम मोहम्मद को आखिरी पैगंबर मानते हैं. यही विचारधारा अहमदियों को अन्य मुस्लिम समुदायों से अलग करती है. पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम देश अहमदियों को काफिर मानते हैं और उन्हें मुसलमान नहीं स्वीकारते.
अहमदियों की वैश्विक आबादी लगभग दो करोड़ है, जिनमें से करीब 50 लाख पाकिस्तान में रहते हैं. पाकिस्तान और भारत में उन्हें विरोध का सामना करना पड़ता है, लेकिन अफ्रीकी देशों में वे अपेक्षाकृत शांति से रहते हैं. सऊदी अरब भी अहमदियों को मुस्लिम नहीं मानता और उनके हज पर जाने पर पाबंदी है. अगर कोई अहमदी हज करने के लिए सऊदी अरब जाता है, तो उसे वापस भेज दिया जाता है.
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