आरती श्रीवास्तव
UNEP Food Waste Index Report: संयुक्त राष्ट्र की मानें, तो दुनियाभर में प्रतिदिन एक अरब टन से अधिक भोजन बर्बाद हो जाता है. इसी महीने की 27 तारीख को जारी यूएनईपी फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. इंटरनेशनल डे ऑफ जीरो वेस्ट (30 मार्च) से पहले प्रकाशित इस रिपोर्ट में इस बात को उजागर किया गया है कि भोजन की यह बर्बादी तब हुई जबकि 78.3 करोड़ लोग दुनियाभर में भूख से जूझ रहे थे और एक तिहाई मनुष्य खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे.
घरेलू स्तर पर 60 प्रतिशत खाना हुआ बर्बाद
रिपोर्ट की मानें, तो 2022 में दुनियाभर के सभी परिवारों ने प्रतिदिन 1.05 अरब टन भोजन की बर्बादी की, जो प्रति व्यक्ति 132 किलोग्राम और उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध कुल भोजन का लगभग पांचवां हिस्सा था. वर्ष 2022 में खाने की हुई कुल बर्बादी में से 60 प्रतिशत घरेलू स्तर पर हुआ, जबकि 28 प्रतिशत के लिए फूड सर्विसेज और 12 प्रतिशत के लिए रिटेल जिम्मेदार था.
केवल धनी देशों की ही यह समस्या नहीं है
डेटा इस बात की पुष्टि करते हैं कि खाने की बर्बादी केवल धनी देशों की समस्या नहीं है. उच्च, उच्च मध्यम और निम्न मध्यम आय वाले देशों के बीच घरेलू स्तर पर खाने की बर्बादी के औसत स्तर में प्रति व्यक्ति केवल सात किलोग्राम का अंतर है. हालांकि गर्म देशों के घरों में प्रति व्यक्ति अधिक खाद्य अपशिष्ट उत्पन्न होता है. जबकि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच भोजन की बर्बादी की तुलना करने पर पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्र में भोजन की बर्बादी कम होती है. इसका कारण यह हो सकता है कि गांवों में बचा हुआ भोजन मवेशियों को खिला दिया जाता है और उर्वरक के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है.
वैश्विक त्रासदी है खाने की बर्बादी : इंगर एंडरसन
खाने का कचरे में फेंके जाने से यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन काफी व्यथित हैं. उन्होंने कहा कि भोजन की बर्बादी एक वैश्विक त्रासदी है. दुनियाभर में हो रही खाने की बर्बाद के कारण आज लाखों लोग भूखे रहने को मजबूर हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि देश इस मुद्दे को प्राथमिकता देते हैं, तो वे भोजन हानि और बर्बादी को काफी हद तक रोक सकते हैं, जलवायु पर इसके पड़नेवाले प्रभावों और आर्थिक नुकसान को कम कर सकते हैं और वैश्विक लक्ष्यों की प्रगति में तेजी ला सकते हैं.
खाद्य अपशिष्ट से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन
कारण चाहे जो भी हो, परंतु जिस भोजन से किसी का पेट भरना चाहिए था, उसके नष्ट होने से न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि हमारा यह तरीका जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण को भी बढ़ावा दे रहा है, साथ ही प्रकृति को भी हानि पहुंचा रहा है. हालिया आंकड़ों के अनुसार, भोजन का कचरा वार्षिक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में आठ से दस प्रतिशत का योगदान देता है- जो विमानन क्षेत्र का लगभग पांच गुना है. इतना ही नहीं, दुनिया की लगभग एक तिहाई कृषि भूमि के बराबर की भूमि खाद्य अपशिष्ट से पट गयी है, जिस कारण महत्वपूर्ण जैव विविधता का नुकसान हुआ है. जबकि 2022 में भोजन की बर्बादी और उसके अपशिष्ट के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगभग एक ट्रिलियन डॉलर का नुकसान उठाना है. यूएनईपी की हालिया रिपोर्ट में इसे लेकर चिंता जाहिर की गयी है.