Israel Iran: इजराइल वर्तमान में कई मोर्चों पर संघर्ष में उलझा हुआ है. गाजा में हमास के खिलाफ जंग जारी है, तो लेबनान में हिज्बुल्लाह से भी मुकाबला हो रहा है. साथ ही, सीरिया और इराक में मौजूद ईरान समर्थित मिलिशिया इजराइलपर हमले कर रही हैं और यमन के हूती भी मिसाइलें दाग रहे हैं. इन तमाम चुनौतियों के बीच, इजराइल का पड़ोसी मुस्लिम देश जॉर्डन उसके लिए एक महत्वपूर्ण रक्षा कवच बना हुआ है.
इस साल अप्रैल में जब ईरान ने मिसाइल हमला किया, तो जॉर्डन इकलौता मुस्लिम देश था जिसने खुलकर इजराइल की मदद की बात स्वीकार की थी. जॉर्डन ने अपनी एयरफोर्स को इजराइल की सहायता के लिए भेजने का फैसला किया, जिससे उसने ईरान से दुश्मनी मोल ली थी. लेकिन अब यह रक्षा कवच कमजोर होता दिख रहा है, क्योंकि जॉर्डन के भीतर एक असंतोष की आग सुलग रही है. जॉर्डन और इजराइल के बीच सबसे लंबी सीमा है. लंबे समय से, जॉर्डन इजराइल के खिलाफ खतरों के लिए एक ढाल बनकर खड़ा रहा है. हालांकि, इजराइल में यह विश्वास है कि जॉर्डन का शाही शासन उसकी सहायता करता रहेगा, लेकिन जॉर्डन में अस्थिरता बढ़ रही है और यह पूरे मध्य पूर्व की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है.
इसे भी पढ़ें: UNGA में जयशंकर की चेतावनी, कहा- दुनिया नियति के भरोसे नहीं रह सकती
जॉर्डन की कमजोर होती स्थिति का एक प्रमुख कारण वहां की बड़ी शरणार्थी आबादी है. 1948 में जॉर्डन की जनसंख्या केवल 4 लाख थी, जो अब 1.15 करोड़ हो चुकी है, जिसमें बड़ी संख्या में शरणार्थी शामिल हैं. 2003 में इराक युद्ध के बाद कई शरणार्थी जॉर्डन पहुंचे, और 2011 में सीरियाई गृहयुद्ध के दौरान भी लाखों लोग यहां शरण लेने आए. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जॉर्डन में लगभग 6.70 लाख सीरियाई शरणार्थी (Syrian Refugees) हैं, जबकि गैर-आधिकारिक अनुमानों के मुताबिक यह संख्या 10 लाख या उससे अधिक हो सकती है. इसके अलावा, 1948 से जॉर्डन ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों को भी शरण दी है. माना जाता है कि जॉर्डन की 1.15 करोड़ की आबादी में लगभग 35 लाख फिलिस्तीनी हैं.
इसे भी पढ़ें: हिज्बुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदला लेने क्या इजरालय के खिलाफ सीधे जंग में उतरेगा ईरान?
इन शरणार्थियों की बढ़ती संख्या के साथ कट्टरपंथी विचारधाराएं भी फैल रही हैं. मुस्लिम ब्रदरहुड की विचारधारा ने जॉर्डन की फिलिस्तीनी आबादी में गहरा समर्थन पाया है, और हमास इसी विचारधारा से प्रेरित है. साथ ही, ईरान भी अपनी रणनीति के तहत इराक और सीरिया के शिया समूहों के माध्यम से जॉर्डन की सीमाओं पर दबाव बना रहा है. ईरान जॉर्डन की इजराइल समर्थक भूमिका को इस्लाम विरोधी के रूप में प्रचारित कर रहा है और जॉर्डन की राजशाही को गिराने की कोशिशों में लगा हुआ है. इसके अलावा, वेस्ट बैंक और इजराइल में हथियारों की तस्करी भी जॉर्डन की सैन्य कमजोरियों को उजागर करती है. ईरान जॉर्डन को भी यमन, इराक, सीरिया और लेबनान की तरह एक प्रॉक्सी युद्ध का केंद्र बनाने की कोशिश कर रहा है, जो इजराइल के लिए गंभीर खतरा बन सकता है.
इसे भी पढ़ें: Train: त्योहारों में माता-पिता के लिए ट्रेन में चाहिए लोअर सीट, जानें कैसे करें बुक?