14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Bangladesh: जब मंदिर की रक्षा के लिए घर के बाहर निकले मुस्लिम, पुजारी ने बताया पूरा किस्सा

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंसा फैल गई. ढाका में स्थित प्राचीन ढाकेश्वरी मंदिर की अधिष्ठात्री देवी को बचाने के लिए मुस्लिम भी सामने आए. जानें क्या कहा पुजारी ने

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद कई तरह की हिंसा की खबर आई. अब एक खबर काफी दिनों के बाद आ रही है जो हिंदू-मुस्लिम एकता को दर्शाती है. दरअसल, राजधानी ढाका में स्थित प्राचीन ढाकेश्वरी मंदिर की अधिष्ठात्री देवी को ‘सभी मानवों की माता’ कहा जाता है. इस पवित्र तीर्थस्थल के एक पुजारी ने कहा कि देश में शेख हसीना सरकार के पतन के तुरंत बाद हिंदू, मुस्लिम और अन्य स्थानीय समुदाय के अनेक लोग शक्तिपीठ की रक्षा की. वे एक साथ आए और इसे नुकसान नहीं होने दिया. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रातभर यहां पहरा दिया ताकि मंदिर को नुकसान न पहुंचे.

ढाका में स्थित सदियों पुराने इस मंदिर के आसपास कई मस्जिदें हैं. अकसर यहां मंदिर में बजने वाली घंटियां और पास की मस्जिद में होने वाली ‘अजान’ को साथ लोगों को सुनाई दे जाता है. प्रमुख शक्तिपीठों में से एक श्री श्री ढाकेश्वरी राष्ट्रीय मंदिर को लेकर जो खबर आ रही है उसे सुनकर हर कोई तारीफ कर रहा है.

शाम की आरती के बाद अदा की जाती है नमाज

ढाकेश्वरी मंदिर के मुख्य पुजारियों में से एक अशिम मैत्रो ने कहा कि कई धर्मों के लोग यहां प्रार्थना करने पहुंचेते हैं. मां (देवी) सभी को आशीर्वाद देती है…चाहे वे हिंदू, मुस्लिम, ईसाई या बौद्ध हों. वे यहां कृपा, समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति की लिए आते हैं. करीब 15 वर्षों से मंदिर में सेवा मैत्रो कर रहे हैं. वे मां ढाकेश्वरी को धार्मिक एवं सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक मानते हैं. पुजारी के परिवार के कई सदस्य पश्चिम बंगाल में भी रहते हैं. उन्होंने कहा कि मंदिर में शाम की आरती सात बजे होती है जबकि पास की मस्जिदों में इससे 30 मिनट पहले मगरिब की नमाज अदा की जाती है.

5 अगस्त को क्या हुआ था पुजारी ने बताया

अशिम मैत्रो ने बताया कि 5 अगस्त को जब सरकार विरोधी प्रदर्शन और हिंसा को दौर शुरू हुआ तो शेख हसीना को भारत भागना पड़ा था, तब वह मंदिर परिसर में ही थे. मुझे अपने लिए डर नहीं लग रहा था, बल्कि प्राचीन मंदिर और यहां स्थित देवी-देवताओं की मूर्तियों की सुरक्षा को लेकर मेरी चिंता बढ़ गई थी. मंदिर समिति के सदस्य भी यहां मौजूद थे और हमने मुख्य द्वार समेत अन्य द्वार बंद तुरंत बंद किया. उस समय यहां कोई पुलिसकर्मी भी नहीं था क्योंकि राजनीतिक अराजकता के बीच सब कुछ अस्त-व्यस्त हो गया था.

Read Also : Bangladesh News: भारत को बाड़ लगाने से रोक रहे बांग्लादेशी सैनिक, बॉर्डर पर तनाव जारी

मुस्लिम, हिंदू और अन्य लोग मंदिर के बाहर पहरा देने पहुंचे

आगे पुजारी ने कहा कि स्थानीय समुदायों के सदस्यों ने मदद की. मुस्लिम, हिंदू और अन्य लोग मंदिर के बाहर पहरा देने के लिए पहुंचे. यही वजह रही कि मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. उस दिन से लेकर आज तक यहां कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है. 5 अगस्त को बिना किसी बाधा के उन्होंने नियमित पूजा की और तब से हर दिन रस्मों के समयनुसार भोग भी अर्पित किया गया है. बांग्लादेश की आजादी के वर्ष 1971 में जन्मे मैत्रो ने कहा कि अब यहां सब कुछ सामान्य प्रतीत होता है प्रतिदिन लगभग 1,000 लोग मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं.
(इनपुट पीटीआई)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें