धरती पर कोरोना का संकट, आकाश से भी आ रही ‘आफत’, NASA ने दी जानकारी

NASA, Asteroid: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने करीब पांच ऐसे उल्का पिंड की पहचान की है जो धरती की ओर तेजी से बढ़ रहा है. हालांकि, अच्छी बात यह है कि इसका आकार और रफ्तार कम है जिसके कारण अगर यह पृथ्वी से टकरा भी गया तो कोई असर नहीं होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि उल्का पिंड पृथ्वी के वायुमंडल में ही जलकर फट जाएगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 4, 2020 8:19 AM

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने करीब पांच ऐसे उल्का पिंड की पहचान की है जो धरती की ओर तेजी से बढ़ रहा है. हालांकि, अच्छी बात यह है कि इसका आकार और रफ्तार कम है जिसके कारण अगर यह पृथ्वी से टकरा भी गया तो कोई असर नहीं होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि उल्का पिंड पृथ्वी के वायुमंडल में ही जलकर फट जाएगा.

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डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, नासा ने खबर दी थी कि बुधवार देर रात से लेकर गुरूवार तक करीब पांच उल्का पिंड जिनकी रफ्तार करीब 50,000 हजार मील प्रतिघंटे की है वो पृथ्वी से पास से गुजरेंगे.इनमें से किसी के भी पृथ्वी से टकराने की कोई खतरा नहीं है. एचटी के मुताबिक, नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (CNEOS) ने बताया है एक 108-फुट चौड़ा 2020 केके7 उल्का पिंड पृथ्वी से 4.43 बजे ईडीटी या 2.13 पीएम (आईएसटी) पर गुजरा चुका है.

जबकि एक 115 फीट चौड़ा 2020 केडी4 होगा जो कि 25 लाख मील दूर से 8.47 बजे ईडीटी या शाम 6.17 आईएसटी पर 12,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से गुजर चुका है.इस दौरान सबसे बड़ा उल्का पिंड 2020 केएफ है, जिसका 144 फुट व्यास का माप होता है, जो हमारे ग्रह से 24,000 मील प्रति घंटे पर 12.00 बजे ईडीटी या रात 9.30 बजे आईएसटी गुजरेगा.

इसके बाद 2020 केजे 1 होगा, जो 105 फीट चौड़ा एक क्षुद्रग्रह है, जो 11,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ रहा है, वो पृथ्वी से 2.57 बजे ईडीटी से गुजरेगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.3 मिलियन मील दूर से गुजरेगा जो पृथ्वी के सबसे पास है. सबसे अंत में 2020 केई 4 के रूप में पहचाने जाने वाले उल्का पिंड होंगा जिसका लगभग 171 फीट का अनुमानित व्यास (फुटबाल ग्राउंड से भी बड़ा) होगा.

CNEOS के अनुसार, इंटरनेशनल बिजनेस टाइम्स वेबसाइट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षुद्रग्रह वर्तमान में 20,000 मील प्रति घंटे की गति से हमारे ग्रह की तरफ बढ़ रहा है. बता दें कि बीती 21 मई को भी 1.5 किलोमीटर बड़ा उल्का पिंड धरती के काफी करीब से होकर गुजरा था.

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