नेपाल के प्रधानमंत्री का भविष्य तय करने वाली बैठक फिर टली
इस्तीफा देने के लिये अपनी ही पार्टी के नेताओं के दबाव का सामना कर रहे नेपाली प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली का भविष्य तय करने के लिये सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्थायी समिति की महतवपूर्ण बैठक बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है .
काठमांडू : इस्तीफा देने के लिये अपनी ही पार्टी के नेताओं के दबाव का सामना कर रहे नेपाली प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली का भविष्य तय करने के लिये सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्थायी समिति की महतवपूर्ण बैठक बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है .
भारत विरोधी बयान को लेकर शुरू हुए अंतर-पार्टी विवाद के बीच चीनी राजदूत द्वारा पार्टी के एक शीर्ष नेता से मुलाकात करने के एक दिन बाद यह निर्णय लिया गया है. चीन के राजदूत होउ यानिकी ने रविवार को एनसीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल के साथ मुलाकात की. एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि राजदूत ने माधव नेपाल से उनके आवास पर मुलाकात की और दोनों ने मौजूदा स्थिति पर चर्चा की.
प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार सूर्य थापा ने बताया कि बैठक बुधवार तक के लिये टल गयी है. इस बैठक के स्थगित होने के कारणों के बारे में अभी पता नहीं चल पाया है. पहले ही दो बार स्थगित हो चुकी स्थायी समिति की सोमवार को होने वाली बैठक में 68 वर्षीय प्रधानमंत्री के राजनीतिक भविष्य के बारे में फैसला होने की उम्मीद थी.
शनिवार को भी 45 सदस्यों वाली स्थायी समिति की अहम बैठक को सोमवार तक के लिये टाल दिया गया था ताकि ओली के काम करने के तौर-तरीकों और भारत विरोधी बयानों को लेकर मतभेदों को दूर करने के लिये शीर्ष नेतृत्व को और वक्त मिल सके. पूर्व प्रधानमंत्री- पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ सहित एनसीपी के शीर्ष नेताओं ने प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा था कि उनका हाल ही में दिया भारत विरोधी बयान ‘‘न तो राजनीतिक रूप से सही और न ही कूटनीतिक रूप से उपयुक्त” है .
इस बीच, प्रचंड और ओली ने बालुवाटार में स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में पार्टी को टूटने से बचाने की कवायद में एक बार फिर मुलाकात की. इससे पहले प्रधानमंत्री ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री एवं विपक्षी नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा से मुलाकात की थी. लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इस मुलाकात के दौरान क्या चर्चा हुई. हालांकि ऐसी अटकलें हैं कि ओली सत्ताधारी दल में विभाजन की स्थिति में अपनी सरकार बचाने के लिये देउबा से समर्थन मांग सकते हैं.
Posted By – Pankaj Kumar Pathak