म्यांमार में हवाई हमले के बाद मिजोरम नहीं आये नये शरणार्थी, भारतीय अधिकारी ने दी जानकारी
हवाई हमले के कारण पिछले कुछ दिनों से म्यांमार के नागरिकों की मिजोरम में कोई आवाजाही नहीं हुई है. सागैंग क्षेत्र, जो कभी पूर्वोत्तर राज्यों के भारत विरोधी विद्रोही समूहों के लिए एक प्रमुख आधार था. इनमें से कुछ समूहों की इस क्षेत्र में उपस्थिति बनी हुई है.
भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में सेना की स्ट्राइक में आम लोगों की जान तो जा ही रही है. म्यांमार से लगती भारतीय राज्य मिजोरम की सीमा पर भारी संख्या में शरणार्थियों का डेरा भी लगने लगा है. हालांकि हाल के दिनों में म्यांमार के सागैंग क्षेत्र में हुए हवाई हमले के बाद म्यांमार के नागरिकों का मिजोरम में ताजा आगमन नहीं हुआ है. आज यानी शुक्रवार को राज्य सरकार के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, हवाई हमले के कारण पिछले कुछ दिनों से म्यांमार के नागरिकों की मिजोरम में कोई आवाजाही नहीं हुई है. सागैंग क्षेत्र, जो कभी पूर्वोत्तर राज्यों के भारत विरोधी विद्रोही समूहों के लिए एक प्रमुख आधार था. इनमें से कुछ समूहों की इस क्षेत्र में उपस्थिति बनी हुई है. मंगलवार को सुदूर कंबालू कस्बे के पास हवाई हमले में मरने वालों की आधिकारिक संख्या स्पष्ट नहीं है, हालांकि शैडो नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (एनयूजी) ने कहा है कि महिलाओं और बच्चों सहित 165 लोग मारे गए हैं.
भीड़ पर सीधे गिराए गए बम: द एसोसिएटेड प्रेस को एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि बीते मंगलवार करीब 8 बजे रात एक फाइटर जेट ने लगभग 150 लोगों की भीड़ पर सीधे बम गिराए. प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि मृतकों में महिलाएं और 20 से 30 बच्चे शामिल हैं. यह भी बताया गया कि मारे गए लोगों में स्थानीय रूप से गठित सरकार विरोधी सशस्त्र समूहों और अन्य विपक्षी संगठनों के नेता भी शामिल थे.
म्यांमार में फरवरी 2021 को सेना ने कर दिया था तख्तापलट: गौरतलब है कि म्यांमार में साल 2021 को सेना ने तख्तापलट कर दिया था. म्यांमार की नेता आंग सान सू की और नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के अन्य नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था. इसके बाद लोकतंत्र बहाली की मांग को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुआ था. तब से अब तक करीब 3000 से अधिक नागरिकों के मारे जाने का अनुमान है.