निज्जर हत्या मामलाः कनाडा में भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने कहा है कि कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत ‘‘कतई’’ शामिल नहीं था और ओटावा ने जांच पूरी होने से पहले ही नयी दिल्ली को ‘‘दोषी’’ करार दिया है. वर्मा ने यह टिप्पणी कनाडा के सबसे बड़े निजी टेलीविजन नेटवर्क ‘सीटीवी न्यूज’ के साथ एक साक्षात्कार के दौरान की. ब्रिटिश कोलंबिया में 18 जून को निज्जर की हत्या में भारत के एजेंटों की ‘‘संभावित संलिप्तता’’ के सितंबर में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव देखा गया. भारत ने 2020 में निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘‘बेतुका” और ”प्रेरित’’ बताकर खारिज किया है.
रविवार को प्रसारित साक्षात्कार के दौरान, वर्मा से पूछा गया कि भारत जांच में कनाडा के साथ सहयोग क्यों नहीं कर रहा है. इस पर उन्होंने कहा, जांच पूरी हुए बिना ही भारत को दोषी ठहराया गया. क्या यही कानून का शासन है? यह पूछे जाने पर कि भारत को कैसे दोषी ठहराया गया, वर्मा ने जवाब दिया, ‘‘क्योंकि भारत को सहयोग करने के लिए कहा गया था. और यदि आप विशिष्ट आपराधिक शब्दावली को देखें, जब कोई हमसे सहयोग करने के लिए कहता है, तो इसका अर्थ है कि आप पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है और बेहतर होगा कि आप सहयोग करें. इसलिए हमने इसे बिल्कुल अलग अर्थ में लिया.
उन्होंने कहा कि लेकिन हमने हमेशा कहा है कि अगर कुछ विशिष्ट और प्रासंगिक है, और हमें उसकी जानकारी दी जाए तो हम उस पर गौर करेंगे. यह पहले दिन से कहा गया था. निश्चित रूप से, हमने सहयोग शब्द का उपयोग नहीं किया है क्योंकि हमें लगता है कि यह अपमानजनक है.’’ वर्मा ने जोर देकर कहा कि भारत कनाडा में निज्जर की हत्या में किसी तरह से शामिल नहीं है. उच्चायुक्त ने कहा हमने उस समय भी कहा था कि यह एक प्रेरित और बेतुका आरोप है. और यह अभी भी एक आरोप ही है.
चाहे हम इसे एक विश्वसनीय आरोप कहें, यह शब्द का चयन है, लेकिन यह एक आरोप है. इसलिए भारत सरकार की तरफ से, मैं आपको और आपके दर्शकों को आश्वस्त कर सकता हूं कि कनाडाई धरती पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या में सरकार का कोई हाथ नहीं था, जैसा कि हमेशा कहा जाता है. उन्होंने कहा हमारे देश में कानून का शासन है और सभी स्वतंत्रताएं और अन्य सभी संविधान की ओर से 1950 में प्रदत्त की गईं जब हमने संविधान को आंगीकार किया. इसलिए वे हमारे स्तंभ हैं. (हम) इससे आगे नहीं जाएंगे.
वर्मा ने सिख अलगाववादी आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि कनाडा के साथ अपने संबंधों में भारत की ‘‘मुख्य चिंता’’ यह बनी हुई है कि ‘‘कुछ कनाडाई नागरिक (भारत की) संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर हमले करने के लिए कनाडाई धरती का उपयोग कर रहे हैं.’’वर्मा ने कहा, ‘‘कनाडा में मौजूद अधिकांश ज्ञात अपराधी और आतंकवादी खालिस्तानी मानसिकता के हैं… उनमें से कई भारत में अपने गिरोह चला रहे हैं. वे मादक पदार्थों की तस्करी कर रहे हैं. वे हथियार तस्करी कर रहे हैं. वे मानव तस्करी की गतिविधियां चला रहे हैं.