उत्तर कोरिया का दावा, अमेरिका से लड़ने के लिए 8 लाख लोग सेना में शामिल होने के लिए तैयार
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका- दक्षिण कोरिया के चल रहे सैन्य अभ्यास के जवाब में उत्तर कोरिया ने अपनी ह्वासोंग-17 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल ( आईसीबीएम ) लॉन्च की, जिसके बाद यह दावा किया गया.
उत्तर कोरिया ने दावा किया कि करीब 8 लाख लोगों ने अमेरिका के खिलाफ लड़ने के लिए राष्ट्र की सेना में स्वेच्छा से शामिल होना चाहते हैं. उत्तर कोरिया के सरकारी अखबार रोडोंग सिनमुन अखबार ने बताया कि अकेले लगभग 800,000 छात्रों और श्रमिकों ने अमेरिका का मुकाबला करने के लिए सेना में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की है.
अमेरिका-दक्षिण कोरिया के बीच चल रहे सैन्य अभ्यास के जवाब में उत्तर कोरिया ने किया मिसाइल का परीक्षण
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका- दक्षिण कोरिया के चल रहे सैन्य अभ्यास के जवाब में उत्तर कोरिया ने अपनी ह्वासोंग-17 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल ( आईसीबीएम ) लॉन्च की, जिसके बाद यह दावा किया गया. उत्तर कोरिया ने कहा कि उसके हालिया अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) प्रक्षेपण का मकसद दक्षिण कोरिया और अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यासों के खिलाफ कड़ी चेतावनी देना था.
23 मार्च तक चलेगा अमेरिका और दक्षिण कोरिया को संयुक्त सैन्य अभ्यास
आईसीबीएम प्रक्षेपण करीब एक हफ्ते में उत्तर कोरिया द्वारा किया गया चौथा परीक्षण था, जिसे उसके द्वारा अमेरिका और दक्षिण कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यास की जवाबी प्रतिक्रिया माना जा रहा है. दोनों सेनाओं ने सोमवार को संयुक्त अभ्यास शुरू किया था, जो 23 मार्च तक चलेगा.
About 800,000 people willing to join military to fight US: North Korea claims
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— ANI Digital (@ani_digital) March 19, 2023
किम ने पलटवार के लिए परमाणु हथियार को तैयार रखने का दिया आदेश
केसीएनए के मुताबिक, किम ने कहा कि उत्तर कोरिया के परमाणु मिसाइल बलों के लिए कड़े आक्रामक उपायों के साथ प्रतिद्वंद्वियों पर पलटवार करने को तैयार रहना जरूरी है और उन्हें यह एहसास कराना चाहिए कि उनकी लगातार व विस्तारित सैन्य कार्रवाई उनके लिए एक अपरिवर्तनीय, गंभीर खतरा ला सकती है.
अमेरिका और दक्षिण कोरिया सैन्य अभ्यास को बताया रक्षात्मक
उत्तर कोरिया अमेरिका और दक्षिण कोरिया के सैन्य अभ्यासों को लगातार संभावित आक्रमण का पूर्वाभ्यास बताता आया है, जबकि अमेरिका और दक्षिण कोरिया इन सैन्य अभ्यासों को रक्षात्मक उपायों को बढ़ाने की कवायद बताते आए हैं.