Taliban Rule in Afghanistan: पिछले 20 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद अमेरिका की अगुवाई वाली विदेशी फौजों की अफगानिस्तान से वापसी हो रही है, इसके साथ ही तालिबान को दोबारा पैर फैलाने का मौका मिल गया. अंततः अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी को सत्ता से बेदखल कर तालिबान ने पूरे देश का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है. इस संघर्ष में हजारों मौतें हुईं और लाख लोग विस्थापित हुए हैं.
अपेक्षित कामयाबी नहीं मिलने के बाद तालिबान ने फिर से संघर्ष को तेज कर दिया और अंततः अपने लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब रहा. हाल के महीनों में तालिबान की सक्रियता कैसे बढ़ी है, किस तरह प्रांतों पर कब्जे के मिशन में वह सफल रहा, यहां जानते हैं कुछ अहम घटनाक्रमों के बारे में…
अफगानिस्तान में कैसे बदलते गये हालात
14 अप्रैलः बाइडेन ने की अमेरिकी सैनिकों की वापसी की घोषणा : अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि 1 मई से अमेरिकी सैनिकों की वापसी शुरू हो जायेगी, जिसे 11 सितंबर तक पूरा कर लिया जायेगा.
4 मईः तालिबान की अक्रामकता बढ़ी : दक्षिणी हेलमंद प्रांत में अफगान सैनिकों के खिलाफ तालिबान लड़ाकों ने बड़ी लड़ाई छेड़ दी. उन्होंने छह अन्य प्रांतों पर भी हमला बोल दिया.
11 मईः ताबिलान ने नेर्ख पर कब्जा कर लिया : राजधानी काबुल से सटे नेर्ख जिले पर तालिबान ने कब्जा कर लिया और पूरे देश में हिंसा तेज हो गयी.
7 जूनः 150 से अधिक अफगान सैनिकों की मौत अफगान सरकार ने बताया कि तेज हुए संघर्ष में 150 से अधिक अफगान सैनिकों की हत्या कर दी गयी. साथ ही 34 प्रांतों में से 26 में संघर्ष तेज हो गया है.
22 जूनः उत्तरी अफगानिस्तान में एक साथ कई हमले : देश के उत्तरी इलाकों में तालिबान ने एक साथ कई हमले किये, यह इलाका उनके पारंपरिक ठिकाने से दूर है.
2 जुलाई: बगराम बेस से अचानक अमेरिकी सैनिकों की वापसी : अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के मुख्य सैन्य अड्डे बगराम एयरबेस से शांतिपूर्ण ढंग से अमेरिका सैनिकों की वापसी हो गयी.
इसके साथ ही अफगानिस्तान युद्ध में प्रभावी अमेरिकी भूमिका समाप्त हो गयी.
5 जुलाईः तालिबान ने कहा- शांति योजना पर काम जारी: तालिबान ने कहा है अगस्त में अफगान सरकार के सामने वे लिखित शांति प्रस्ताव पेश करेंगे.
21 जुलाईः अफगानिस्तान के आधे से अधिक जिलों पर तालिबान का नियंत्रण : सीनियर अमेरिकी जनरल के अनुसार, तालिबान ने देश के आधे से अधिक जिलों को नियंत्रण में ले लिया है. भयावह संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गयी.
26 जुलाईः अमेरिका ने अफगान सरकार को समर्थन जारी रखने की बात कही : तालिबान हमलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में हवाई हमले बढ़ाने की बात कहते हुए अमेरिका ने अफगान सैनिकों को मदद जारी रखने की बात कही.
26 जुलाईः अफगान नागरिकों की मौत : संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि मई और जून में हुई हिंसा से 2400 अफगान नागरिकों की हत्या हुई. साल 2009 के बाद यह संख्या सर्वाधिक है.
6 अगस्तः जारांज समेत अन्य प्रांतों पर तालिबान का नियंत्रण : जारांज प्रांत समेत नौ अन्य प्रांतों पर तालिबान का कब्जा हो गया. सत्ता में रहने के दौर में भी तालिबान का इन इलाकों पर पूर्णतः कब्जा नहीं था. पश्चिमी में हेरात से लेकर दक्षिण में कांधार तक संघर्ष की स्थिति गंभीर होती जा रही थी.
7 अगस्तः शेबेरघान पर कब्जा : तालिबान ने पूरे उत्तरी प्रांत जावजान पर कब्जे की घोषणा की. इसमें उसकी राजधानी शेबेरघान भी शामिल थी.
8 अगस्तः सार-ए-पुल, कुंदूज, तालुक्वान : तालिबान ने उत्तरी प्रांत की राजधानी सार-ए-पुल, ताखर प्रांत की राजधानी तालुक्वान के साथ ही कुंदूज इलाके पर कब्जा कर लिया. कैदियों को छुड़ाकर उन्होंने सरकारी कर्मचारियों को भागने पर मजबूर कर दिया.
9 अगस्तः अयबाक : तालिबान लड़ाकों ने सामांगान प्रांत की राजधानी पर नियंत्रण स्थापित कर लिया.
10 अगस्तः फराह, पुल-ए-खुमरी: पश्चिमी प्रांत की राजधानी और केंद्रीय प्रांत बागलान की राजधानी पर तालिबान का नियंत्रण हो गया.
11 अगस्तः फैजाबाद : बदख्शान के उत्तर-पूर्वी प्रांत
की राजधानी फैजाबाद को तालिबान ने हमला कर कब्जे में ले लिया.
12 अगस्तः गजनी, हेरात, कांधार : गजनी के दक्षिणी-पूर्वी प्रांत पर कब्जा कर तालिबान ने सरकारी कर्मचारियों को काबुल भेज दिया. इसके अलावा, अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात और कांधार पर तालिबान कुछ ही हफ्तों के संघर्ष के बाद काबिज हो चुका है.
13 अगस्तः लश्कर गाह, क्वाला-ए-नाव, फिरुज कोह, पुल-ए-आलम, तेरेनकोट और कलात : दक्षिण में हेलमंद प्रांत की राजधानी लश्कर गाह पर तालिबान का नियंत्रण स्थापित हो गया. इसके अलावा बदगिस की राजधानी क्वाला ए नाव, चागचारान और पुल-ए-आलम आदि महत्वपूर्ण स्थानों पर अपना नियंत्रण स्थापित करने में सफल हो चुका है.
किन हाथों में है अफगानी तालिबानों की कमान: हिब्तुल्लाह अखुंदजादा
अफगान तालिबान के नेता हैं. इस्लाम धर्म के विद्वान है. कंधार के निवासी हैं. तालिबान की दिशा बदली और उसे मौजूदा हालत में पहुंचाया. सोवियत संघ के खिलाफ विद्रोह में कमांडर थे
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर: बरादर उन चार लोगों में से एक हैं जिन्होंने 1994 में तालिबान का गठन किया था. साल 2001 में जब अमेरिका के नेतृत्व में अफगानिस्तान पर हुए आक्रमण में तालिबान को सत्ता से हटा दिया गया था, तब वह नाटो फोर्सेस के खिलाफ विद्रोह के प्रमुख बन गये थे
Posted by: Pritish Sahay