45 सेकेंड तक गिरता रहा ‘लिटिल बॉय’, फिर तेज रौशनी… और काला हो गया आसमान, 79 साल बाद भी याद कर सिहर जाते हैं जापानी
Nuclear Attack: दूसरे विश्व युद्ध को याद करके आज भी दुनिया सिहर जाती है. गोला-बारूद, बम और विनाशकारी एटम हथियार का इस युद्ध में इस्तेमाल हुआ था, इससे पहले किसी भी युद्ध में इतनी तबाही नहीं मची थी. युद्ध के अंतिम दिनों में अमेरिका ने दुनिया का सबसे बड़ा हमला जापान में किया था.
Nuclear Attack: 6 अगस्त 1945 की सुबह जापान के नागासाकी में एक आम सुबह की तरह शुरू हुई. मौसम वहां गर्मियों का था. आसमान साफ और सुबह की खिली धूप निकली थी. लोग ऑफिस की तैयारी कर रहे थे. बच्चे स्कूल में क्लास के इंतजार कर रहे थे. समय सुबह के आठ बजे थे. इसी समय कुछ लोगों को आसमान में अमेरिकी विमान को उड़ते देखा. युद्ध के दिनों के लिए यह आम बात थी, लोग इसके आदि हो चुके थे. ठीक 8 बजकर 15 मिनट पर इस फाइटर जेट से एक बम के आकृति की कोई वस्तु गिरती हैं. दूर से लोग देखकर अंदाजा लगा ही रहे थे कि विमान से छोड़ी गई यह क्या चीज है. लेकिन… वो कुछ अनुमान लगा पाते और कुछ करते इससे पहले ही एक धमाका हुआ. ऐसा धमाका जो उस समय से पहले किसी ने भी नहीं सुनी थी. और न ही वैसी तबाही देखी थी. यह अमेरिका का एक बम था, जिसे पहली बार अमेरिका ने जापान के खिलाफ प्रयोग किया था. यह पहला एटम बम विस्फोट था. अमेरिका ने इस बम का नाम लिटिल बॉय रखा गया था.
45 सेकेंड तक ऊपर से नीचे गिरता रहा लिटिल बॉय
बोइंग बी-29 विमान से निकला यह बम 45 सेकेंड तक जमीन की तरफ गिरता नजर आता है. उसके बाद पलक झपकने से भी कम समय में एक विस्फोट हो जाता है. इतनी चकाचौंध रोशनी होती है कि मानों सैकड़ों सूरज एक साथ चमकने लगे हो. नागासाकी के लोगों के अपने जिंदगी के आखिरी पलों में एक बहुत ज्यादा चमक दिखता है जिससे उनकी आंखें अपने आप बंद हो जाती है. इसी दौरान आग का एक झमाका सामने बन जाता है. तेज रोशनी, आग का विशाल गोला और मशरूम की आकृति वाला धुआं. लोगों को धरती पर एक छोटा सा सूरज जैसा बनता दिखता है. इलाके का तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. आस पास मौजूद वस्तु और इंसान, जानवर सभी तबाह हो जाते है. भरा पूरा शहर खंडहर में तब्दील हो गया.
एक झटके में 80 हजार लोगों की मौत
धमाके के चंद पलो में ही 80 हजार लोग मारे गये. इमारतें टूट गई. आसपास के इलाकों में मौजूद इमारतें गायब हो गई वहां मैदान नजर आने लगा. लेकिन यह तो सिर्फ शुरुआत थी. एटम बम के रेडिएशन के कारण इसके बाद जो लोगों की मौत सिलसिला शुरू हुआ तो कई महीनों तक जारी रहा. कई लोग स्थायी रूप से विकलांग हो गये. धमाके का सामना करने वाले लोग जो बच गये उनके कई विकार सामने आये. हालांकि जापान इसके बाद भी मैदान में डटा रहा. उसने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया. इसके बाद 9 अगस्त को एक बार फिर जापान के दूसरे शहर नागासाकी में वही धमाके की आवाज सुनाई पड़ती है. बेपनाह रोशनी और फिर स्याह होता आसमान नजर आता है. नागासाकी में अमेरिका ने दूसरा एटम बम गिरा दिया था. जिसके बाद जापान ने बिना कुछ सोचे सीधा समर्पण कर दिया.
दुनिया ने जाना एटम बम की ताकत
मानव इतिहास में सिर्फ दो बार ही किसी शहर या देश में परमाणु बम से हमला किया गया है. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी ने जापान पर परमाणु बम से हमला किया था. उसके दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी पूरी तरह खंडहर में बदल गये थे. लाखों लोग एक झटके में मारे गये. हर तरफ शवों का ढेर पड़ा था. दुनिया का सबसे विनाशकारी युद्ध खत्म हो गया था. लेकिन यह विनाश का अंत नहीं था. यह तो एक शुरुआत थी. दुनिया एटम बम क्या है और यह कितना शक्तिशाली है इसे जान चुकी थी.
दूसरा विश्व युद्ध बेहद विनाशकारी था
1 अगस्त 1939 को जर्मनी के पोलैंड पर हमले के साथ ही पूरी दुनिया एक बार फिर युद्ध के आग में जलने लगी थी. 1939 के बाद दुनिया दो खेमों में बंट गई थी. एक तरफ जर्मनी, इटली और जापान थे जिन्हें एक्सिस पावर (Axis Power) कहा गया था. दूसरी और एलाइड पावर थे जिसमें अमेरिका, रूस और ब्रिटेन शामिल थे. यह युद्ध करीब छह सालों तक चला. इसमें जान माल की इतनी छति हुई जितनी इससे पहले किसी भी युद्ध में नहीं हुई थी. इस लड़ाई में एलाइड शक्तियां जीत हासिल की थी. पांच साल की लड़ाई के बाद मई 1945 में जर्मनी ने आत्मसमर्पण कर दिया. उसके शासक हिटलर ने आत्महत्या कर ली. इटली पहले ही सरेंडर कर चुका था. लेकिन जापान अभी भी मोर्चे पर डटा रहा.
दो एटमी हमले के बाद जापान ने कर दिया सरेंडर
अमेरिका दूसरे विश्व युद्ध में पहले शामिल नहीं था. वो सिर्फ मित्र राष्ट्रों को हथियारों की सप्लाई कर रहा था. लेकिन, 1941 को जापान के पर्ल हॉबर्ल पर हमले के बाद अमेरिकी ने जापान के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी. इसके बाद वो भी खुलकर युद्ध में शामिल हो गया था. 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु हमले के बाद जापान ने भी आत्मसमर्पण कर दिया. इस समर्णण के साथ ही छह साल तक चले विनाशकारी युद्ध का समापन हुआ.
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