राफेल बनाने वाली कंपनी के मालिक की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने जताया शोक

फ्रांसीसी उद्योगपति और अरबों की दौलत के मालिक सर्ज दसॉल्ट के सबसे बड़े बेटे ओलिवियर दसॉल्ट की उम्र 69 साल थी. इनकी कंपनी राफेल लड़ाकू विमान भी बनाती है. हालांकि, राजनीतिक कारणों और हितों के टकराव से बचने के लिए उन्होंने दसॉल्ट बोर्ड से अपना नाम वापस ले लिया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 8, 2021 9:01 AM
  • दुर्घटना के वक्त छुट्टी बिता रहे थे ओलिवियर दसॉल्ट

  • साल 2020 फोर्ब्स की सूची ओलिवियर को मिला था 361वां स्थान

  • दसॉल्ट के निधन पर फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने ट्वीट कर जताया शोक

पेरिस : भारत में राजनीतिक तौर पर विवादों में रहने वाले लड़ाकू विमान राफेल बनाने वाली कंपनी के मालिक और फ्रांस के अरबपति ओलिवियर दसॉल्ट की एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई है. दसॉल्ट की मौत पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शोक जताया है. गौरतलब है कि राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी के मालिक ओलिवियर दसाल्ट फ्रांस की संसद के सदस्य भी थे.

फ्रांसीसी उद्योगपति और अरबों की दौलत के मालिक सर्ज दसॉल्ट के सबसे बड़े बेटे ओलिवियर दसॉल्ट की उम्र 69 साल थी. इनकी कंपनी राफेल लड़ाकू विमान भी बनाती है. हालांकि, राजनीतिक कारणों और हितों के टकराव से बचने के लिए उन्होंने दसॉल्ट बोर्ड से अपना नाम वापस ले लिया था. साल 2020 में फोर्ब्स की सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में दसॉल्ट को अपने दो भाइयों के बहन के साथ 361वां स्थान मिला था.

जानकारी के मुताबिक, रविवार को जब दसॉल्ट का निजी हेलीकॉप्टर नॉर्मंडी दुर्घटनाग्रस्त हो गया. जिस समय उनका हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ, उस समय वह छुट्टियां मनाने गए थे. दसॉल्ट के निधन पर फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने शोक जताते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘ओलिवियर दसॉल्ट फ्रांस से प्यार करते थे. उन्होंने उद्योग, नेता और वायु सेना के कमांडर के तौर पर देश की सेवा की. उनका आकस्मिक निधन एक बहुत बड़ी क्षति है. उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति गहरी संवेदना.’

बता दें कि वायु सेना को अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए कम से कम 42 लडा़कू स्क्वाड्रंस की जरूरत थी, लेकिन उसकी वास्तविक क्षमता घटकर महज 34 स्क्वाड्रंस रह गई. इसलिए वायुसेना की मांग आने के बाद 126 लड़ाकू विमान खरीदने का सबसे पहले प्रस्ताव अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने रखा था. लेकिन इस प्रस्ताव को कांग्रेस सरकार ने आगे बढ़ाया. रक्षा खरीद परिषद ने 126 एयरक्राफ्ट की खरीद को अगस्‍त 2007 में मंजूरी दी थी. रक्षा खरीद परिषद के मुखिया तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटोनी थेयहां से ही बोली लगने की प्रक्रिया शुरू हुई. इसके बाद आखिरकार 126 विमानों की खरीद का आरएफपी जारी किया गया. राफेल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये 3 हजार 800 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है.

साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी सरकार बनी तो उसने इस दिशा में फिर से प्रयास शुरू किया. पीएम की फ्रांस यात्रा के दौरान साल 2015 में भारत और फ्रांस के बीच इस विमान की खरीद को लेकर समझौता किया. इस समझौते में भारत ने जल्द से जल्द 36 राफेल विमान फ्लाइ-अवे यानी उड़ान के लिए तैयार विमान हासिल करने की बात कही. समझौते के अनुसार दोनों देश विमानों की आपूर्ति की शर्तों के लिए एक अंतर-सरकारी समझौता करने को सहमत हुए.

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Posted by : Vishwat Sen

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