Omicron: पहचान के हफ्तों पहले से अपनी पकड़ मजबूत कर रहा था कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रोन
ओमिक्रोन के स्वभाव और उसके संक्रमण के विस्तार के बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए इसे नियंत्रित करने के लिए विश्व के कई देश प्रतिबंधों का सहारा ले रहे हैं.
कोरोना वायरस के नये वैरिएंट ओमिक्रोन ने पूरे विश्व का चैन चुरा लिया है. हालांकि अभी इस वायरस के बारे में ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है, लेकिन अबतक जो जानकारी उपलब्ध है उसके अनुसार यह वायरस पहचान के हफ्तों पहले से मौजूद था और अपना संक्रमण फैला रहा था.
ओमिक्रोन के संक्रमण से घबराए जापान ने यात्रा प्रतिबंधों को कड़ा कर दिया है और दक्षिण अफ्रीका से आने वाली उड़ानों को रद्द कर दिया है. चूंकि ओमिक्रोन के स्वभाव और उसके संक्रमण के विस्तार के बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए इसे नियंत्रित करने के लिए विश्व के कई देश प्रतिबंधों का सहारा ले रहे हैं.
ओमिक्रोन के बारे में अभी यह जानकारी भी नहीं है कि क्या इसपर वैक्सीन का कोई प्रभाव नहीं है. चूंकि यह वायरस का नया वैरिएंट है और इसके बारे में वैज्ञानिक ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं इसलिए अभी यह कहना जल्दी होगी कि यह डेल्टा वैरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक है.
दक्षिण अफ्रीका पर यात्रा प्रतिबंध लगाने को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उचित कदम नहीं बताया है और कहा है कि इससे ओमिक्रोन के संक्रमण को रोका नहीं जा सकेगा. हालांकि संगठन ने ओमिक्रोन को चिंता का स्वरूप बताया है और कहा है कि इसका 30-50 म्यूटेशन हो चुका है और संभव है कि यह डेल्टा वैरिएंट से 30 गुणा खतरनाक हो.
इस बीच, यूरोप के कई देश अब भी डेल्टा वैरिएंट से जूझ रहे हैं. वहां संक्रमण के मामले तीव्र गति से बढ़ रहे हैं और अस्पतालों में मरीजों के भर्ती होने की दर भी बढ़ी है. वहीं, जापान ने अपना आक्रामक रुख बरकरार रखा है. उसने सभी अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन को देश में आने वाली उड़ानों के लिए टिकटों की बुकिंग बंद करने को कहा है.
जापान ने पेरू से कतर होते हुए आये एक व्यक्ति में इस स्वरूप की पुष्टि की है जो देश में ओमीक्रोन का दूसरा मामला है. हालांकि, विश्व के कई देशों ने दक्षिण अफ्रीका से यात्रियों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया है. अमेरिका अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए जांच की जरूरतों को कठोर करने का कदम उठा रहा है. दक्षिण अफ्रीकी अनुसंधान में विश्व स्वास्थ्य संगठन को पिछले हफ्ते ओमीक्रोन के बारे में सतर्क किया गया था लेकिन यह ज्ञात नहीं है कि कहां या कब यह नया स्वरूप पहली बार प्रकट हुआ. हालांकि, यह स्पष्ट है कि यह दक्षिण अफ्रीका से पहले से यह यूरोप में मौजूद था.