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सिर्फ 5 तालिबानियों ने अमेरिका के छुड़ा दिये छक्के, अफगानिस्तान पर किया कब्जा

Afghanistan Taliban News: इन लोगों ने न केवल तालिबान को खड़ा किया, बल्कि पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. यही लोग अब अफगानिस्तान का भविष्य तय करेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 17, 2021 10:56 PM

Afghanistan Taliban News: अमेरिका पर 9 सितंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमले ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था. 9/11 के इस हमले का बदला लेने और हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को मार गिराने के लिए अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला बोल दिया था. इस दौरान यहां तालिबान का शासन था. अमेरिका ने चुन-चुनकर तमाम आतंकवादी संगठनों का खात्मा कर दिया. लेकिन, अमेरिका की वापसी से पहले ही तालिबान ने एक बार फिर अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया है.

अमेरिकी हमले में तबाह हुए अफगानिस्तान के कट्टरपंथियों के इस संगठन ने इतने दिनों तक अमेरिका के सैनिकों पर छोटे-मोटे हमले किये और उन्हें परेशान किया. लेकिन, जैसे ही अमेरिका ने अपने सैनिकों की वापसी शुरू की, तालिबान फिर से सक्रिय हो गया. अमेरिका का अनुमान था कि 30 दिन में पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो जायेगा, लेकिन तालिबान ने महज 10 दिन में काबुल और राष्ट्रपति भवन दोनों पर कब्जा कर लिया.

हर कोई जानना चाहते हैं कि वे कौन लोग हैं, जिन्होंने इतनी जल्दी पूरे अफगानिस्तान (Afghanistan) पर अपना आधिपत्य कायम कर लिया. राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) को देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर कर दिया. इसका जवाब हम आपको बताते हैं. इस कट्टरपंथी संगठन का 5 लोग संचालन कर रहे हैं. इन लोगों ने न केवल तालिबान को खड़ा किया, बल्कि पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. यही लोग अब अफगानिस्तान का भविष्य तय करेंगे.

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अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन के करीबी मुल्ला उमर ने कुछ लोगों को साथ लेकर तालिबान को खड़ा किया. वर्ष 1996 से 2001 तक तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा रहा. लेकिन, अमेरिका ने ओसामा के खात्मे का जब अभियान चलाया, तो उसने तमाम छोटे-छोटे आतंकी और कट्टरपंथी संगठनों को भी खत्म करना शुरू कर दिया. इस ऑपरेशन में तालिबान को भारी नुकसान पहुंचा, क्योंकि अमेरिका को संदेह था कि इसी संगठन ने ओसामा को शरण दी है.

बाद में संगठन के लोग दुनिया के कोने-कोने में जाकर छिप गये. हालांकि, अमेरिका को परेशान करने में इन्होंने कोई कसर बाकी नहीं रखी. चूंकि यह संगठन काफी कमजोर हो गया थ, तो बड़े पैमाने पर हमले करने में सक्षम नहीं था. सो, इसने छोटे-मोटे हमले ही किये. छोटे-छोटे हमलों में काफी संख्या में अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई. इस दौरान इस संगठन ने खुद को संगठित भी किया. देखिए, कौन 5 लोग हैं, जो इस शक्तिशाली संगठन के पीछे हैं.

हिबतुल्लाह अखुंदजादा (Hibatullah Akhundzada)

हिबतुल्लाह अखुंदजादा तालिबान का सुप्रीम लीडर है. वह कट्टरपंथी भी है और इस्लामिक स्कॉलर भी. अफगानिस्तान के कंधार में जन्मे हिबतुल्लाह अखुंदजादा का पूरा जीवन गोली-बंदूक और शरीया कानून के बीच इसी देश में बीता. कहा जाता है कि वह अब तक के सबसे खूंखार और कट्टर आतंकी से भी कट्टर और खूंखार है. अफगानिस्तान में वह मदरसे चलाता है. 1990 के दशक में वह तालिबान का जज हुआ करता था. कट्टर इस्लाम ही उसका मकसद है.

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तालिबान का चेहरा बदलने और वर्तमान स्वरूप में लाने में उसका ही हाथ बताया जाता है. वर्ष 1980 के दशक में जब सोवियत संघ के खिलाफ अफगानिस्तान में जंग छिड़ी थी, तो हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने कमांडर के रूप में अपनी सेवा दी थी. लेकिन, वह मिलिट्री कमांडर से ज्यादा धर्मगुरु था. अफगानिस्तान तालिबान का प्रमुख बनने से पहले भी वह तालिबान का सबसे बड़ा नेता हुआ करता था. तालिबान को आदेश जारी करने की हैसियत यही शख्स रखता था. हत्या के आरोपियों और यौन अपराध के आरोपियों का सिर कलम करने का हुक्म देता रहा है. वह शुरू से अमेरिका के साथ वार्ता का पक्षधर रहा है.

अब्दुल गनी बारादर (Abdul Ghani Baradar)

तालिबान का एक और बड़ा नेता है अब्दुल गनी बारादर. बारादर तालिबान के राजनीतिक ऑफिस का प्रमुख है. तालिबान का गठन करने वाले 4 लोगों में एक मुल्ला अब्दुल गनी बारादर को मुल्ला उमर का सबसे करीबी माना जाता था. बारादर तालिबान का डिप्टी रक्षा मंत्री था. ऐसा माना जा रहा है कि बारादर ही अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति बन सकता है.

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वर्ष 2010 में पाकिस्तान और अमेरिका के संयुक्त अभियान में उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. हालांकि बाद में उसे रिहा कर दिया गया था. वर्ल्ड कम्युनिटी से जब राजनीतिक वार्ता होती है, तो वह उसमें शामिल होता है. तालिबान की राजनीतिक दशा और दिशा यही शख्स तय करता है. पिछले दिनों वह चीन भी गया था. विदेश मंत्री समेत कई बड़े नेताओं से मिला था. तालिबान के सारे पैसे का हिसाब इसके पास ही रहता है.

मोहम्मद याकूब (Mohammad Yaqoob)

मुल्ला मोहम्मद याकूब तालिबानी सेना का प्रमुख है. तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा वर्ष 2016 में तालिबान का चीफ नहीं बन पाया था, क्योंकि उसके पास उस वक्त अनुभव की कमी थी. इसलिए उसके पिता की जगह किसी और को तालिबान का प्रमुख नियुक्त किया गया था. मुल्ला याकूब इस वक्त तालिबान के विदेश अभियान को देखता है. वह तालिबान के सैन्य अभियान का चीफ है. उसे तालिबान का उत्तराधिकारी माना जाता है.

सिराजुद्दीन हक्कानी (Sirajuddin Haqqani)

सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान का एक और अहम चेहरा है. वह जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा है. तालिबान का यह नेता हक्कानी नेटवर्क का भी प्रमुख है. हक्कानी नेटवर्क तालिबान का सहयोगी संगठन है. 40 से 50 वर्ष की उम्र के सिराजुद्दीन हक्कानी पर अमेरिका ने 1 करोड़ डॉलर यानी करीब 75 करोड़ रुपये का इनाम रखा है.

सुहैल शाहीन (Suhail Shaheen)

सुहैल शाहीन मॉडर्न ख्यालों वाला व्यक्ति बताया जाता है. तालिबान का यह प्रवक्ता फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता है. वर्ल्ड मीडिया को तालिबान की ओर से तमाम बयान वही जारी करता है. तालिबान के सबसे लोकप्रिय चेहरों में शुमार सुहैल शाहीन काबुल टाइम्स का संपादक रह चुका है.

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