वुहान लैब से डेटाबेस डिलीट क्यों किया गया, क्या वाकई लैब में ही बना था कोरोना वायरस

कोरोना वैक्सीन की उत्पति कैसे हुई इस पर अभी भी रहस्य बना हुआ है. हालांकि इसे लेकर लगातार चीन पर सवाल उठाए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि बैट वुमेन शी झेंगली ने डाटाबेस को हटाने में भूमिका निभाई थी. पर अब चीन के कुछ शोधकर्ता भी कोरोना वायरस के प्राकृतिक तौर पर उत्पति होने पर सवाल उठा रहे हैं. रिसर्चर्स ने उन डेटाबेस के स्क्रिनशॉट को शेयर किया जो हटा दिये गये हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 5, 2021 12:35 PM

कोरोना वैक्सीन की उत्पति कैसे हुई इस पर अभी भी रहस्य बना हुआ है. हालांकि इसे लेकर लगातार चीन पर सवाल उठाए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि बैट वुमेन शी झेंगली ने डाटाबेस को हटाने में भूमिका निभाई थी. पर अब चीन के कुछ शोधकर्ता भी कोरोना वायरस के प्राकृतिक तौर पर उत्पति होने पर सवाल उठा रहे हैं. रिसर्चर्स ने उन डेटाबेस के स्क्रिनशॉट को शेयर किया जो हटा दिये गये हैं.

इस डेटाबेस में यह बताया गया था कि वुहान इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी से पहली बार 12 सितंबर 2019 को कोरोना वायरस एकत्रित किये गये थे. इसके कुछ सप्ताह बाद ही शहर में कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आया था.

मामले की जांच कर रहे शोधकर्ताओं की टीम DRASTIC विकेंद्रीकृत रेडिकल ऑटोनॉमस सर्च टीम ने इससे जुड़े एक के बाद एक कई कागजात जारी किये हैं. उन कागजात से यह तथ्य सामने आता है कि कोरोना वायरस प्राकृतिक तौर पर नहीं बना, बल्कि यह वुहान के लैब से लीक हुआ है.

Also Read: चीन हो सकता है कोरोना का नया Hotspot, इन देशों को भी है खतरा, चमगादड़ों में सोच से ज्यादा भरा है खतरनाक वायरस

इस महत्वपूर्ण खुलासे के बाद ना सिर्फ वुहान इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे बल्कि न्यूयॉर्क स्थित हेल्थ अलायंस पर भी सवाल खड़े हुए हैं. जिसे नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ हेल्थ से ग्रांट मिला है, जिसने वुहान में वायरस पर रिसर्च करने के लिए फंडिग की थी.

इस रिसर्च से जरिये यह पता लगाना था कैसे कोई भी वायरस का स्वरूप बदलने के बाद कैसे यह बहुत तेजी से फैलता है या फिर यह किस प्रकार से इंसानों के घातक हो सकता है, ताकि यह समझा जा सकें की प्रकृति में यह चीजे कैसे काम करती है.

विकेंद्रीकृत रेडिकल ऑटोनॉमस सर्च टीम ने कहा कि 2019 में वुहान लैब से डाटाबेस को हटाने के बाद प्रो शी झेंगले की जो प्रक्रियाएं वो सभी अलग अलग थीं. दिसंबर 2020 में बीबीसी को दिये इंटरव्यू में शी झेंगली ने कहा था कि साइबर अटैक को देखते हुए डाटा हटा दिया था. जनवरी 2021 में उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को देखते हुए डाटा को ऑफलाइन कर दिया गया था.

हालांकि शी झेंगली के इन बयानों का कोई मतलब नहीं रह जाता है क्योंकि मुख्य डाटाबेस कोरोना वायरस की औपचारिक शुरुआत से तीन महीने पहले सितंबर 2019 में ही ऑफलाइन कर दिये गये थे. इसलिए डाटाबेस हटाने का कारण सही नहीं है. इसके कारण इस पर और सवाल खड़े होते हैं.

Also Read: चमगादड़ों से इंसानों में नए कोरोना वायरस के फैलने का खतरा ज्यादा, शोधकर्ताओं ने बताए ऐसे ग्लोबल हॉटस्पॉट

इसके एक साल बाद 2021 में साइंस जर्नल में छपे आर्टिकल में लिखा गया कि वुहान से कोरोना वायरस का पहला केस मिलने के बाद अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि कोरोना वायरस का स्त्रोत क्या है. इसकी प्राकृतिक उत्पति को लेकर जो भी शोध किये गये हैं अब तक असफल रहे हैं.

Posted By: Pawan Singh

Next Article

Exit mobile version