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पाकिस्तान में 8 फरवरी को रहेगा इंटरनेट बंद! ‘ओपन डोर पॉलिसी’ अपनाया जा रहा है आम चुनाव में

पाकिस्तान में 8 फरवरी को इंटरनेट बंद रहने की खबरें सुर्खियों में है. इस बीच मामले को लेकर सरकार का बयान सामने आया है. जानें 'ओपन डोर पॉलिसी' आम चुनाव में पाकिस्तान ने क्यों अपनाया.

By Amitabh Kumar | February 6, 2024 9:41 AM
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पाकिस्तान में आम चुनाव को केवल एक दिन रह गये हैं. इससे पहले कई तरह की खबरें सामने आ रहीं हैं. एक खबर आ रही है कि आम चुनाव वाले दिन यानी आठ फरवरी को इंटरनेट डाउन कर दिया जाएगा. इस मामले को लेकर देश के कार्यवाहक सूचना मंत्री मुर्तजा सोलांगी का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि सरकार की ओर से अभी तक 8 फरवरी को मोबाइल या इंटरनेट सेवाएं बंद करने का कोई निर्देश नहीं दिया गया है.

रेडियो पाकिस्तान की मानें तो, एक निजी समाचार चैनल से बात करते हुए सूचना मंत्री मुर्तजा सोलांगी ने कहा कि यदि कहीं भी कोई कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा होती है तो इस तरह के कदम उठाए जाने पर विचार किया जा सकता है. देश में मतदान के दिन स्थानीय प्रशासन अपने हिसाब से फैसला लेने का काम करेगा. उन्होंने जनता से वोट देने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का विवेकपूर्ण ढंग से प्रयोग करने का आग्रह किया है.

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‘ओपन डोर पॉलिसी’ के बारे में जानें

इस बीच मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सिकंदर सुल्तान राजा ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार, पाकिस्तान के 8 फरवरी के आम चुनाव के लिए 100 से अधिक विदेशी पर्यवेक्षक को बुलाया गया है. पाकिस्तान चुनाव आयोग ने इस बाबत एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया है कि देश ‘ओपन डोर पॉलिसी’ पर चल रहा है. पाकिस्तान ने विदेशी चुनाव पर्यवेक्षकों के लिए इस नीति को अपनाया है.

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सेना के हाथ में राजनीति!

यहां चर्चा कर दें कि पाकिस्तान के आम चुनाव पर उसके पड़ोसी देशों की नजर बनी हुई है. पूर्व पीएम इमरान खान जेल में बंद है. रिपोर्टों के अनुसार, पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ की पीएमएल-एन को बहुमत मिल सकता है लेकिन इमरान की पार्टी पीटीआई भी इतनी जल्दी हार मानती नहीं दिख रही है. पाकिस्तान के आम चुनाव पर नजर डालें तो यह देखने को मिलता है कि यहां आम तौर पर प्रधानमंत्री सलेक्ट किया जाता है. यहां पीएम इलेक्ट करने की परंपरा नहीं है. यह एक खुला रहस्य है कि, पिछले आम चुनाव के बाद इमरान खान कैसे पाकिस्तान के पीएम बने थे. ऐसा कहा जाता है कि पाकिस्तान में सेना के हाथों की कठपुतली राजनीति है.

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