Pakistan Army: पाकिस्तान में नए आर्मी चीफ को नियुक्त करने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है. जिसे 25 नवंबर तक पूरा कर लिए जाने की बात सामने आ रही है. पाकिस्तान में सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर सियासी घमासान जारी है. इस बीच, पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने अगले सेना प्रमुख के लिए पीएमओ को सोमवार को पांच नामों की सूची भेजी है. बता दें कि मौजूदा सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा 29 नवंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे.
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि अगले सेना प्रमुख की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है और यह 25 नवंबर तक पूरी हो जाएगी. मौजूदा सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह लेने की दौड़ में 5-6 शीर्ष जनरल शामिल हैं. आसिफ ने ट्वीट कर कहा कि सेना के सर्वोच्च पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है. अल्लाह ने चाहा तो इसे जल्द ही सभी संवैधानिक जरूरतों को पूर्ण करते हुए पूरा कर लिया जाएगा.
पाकिस्तान सेना अधिनियम (PAA) 1952 के तहत, रक्षा मंत्रालय मौजूदा सेनाध्यक्ष को सेवामुक्त करने संबंधी दस्तावेज डिस्चार्ज समरी जारी करेगा, ताकि उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो सके. जनरल बाजवा (61 वर्ष) तीन साल के सेवा विस्तार के बाद 29 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. हालांकि, उन्होंने एक और सेवा विस्तार लेने से इनकार कर दिया है.
इस्लामाबाद में पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर कोई गतिरोध नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सैन्य नेतृत्व को भरोसे में लेंगे, जिसके बाद कोई फैसला लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि नियुक्ति की प्रक्रिया 25 नवंबर तक पूरी हो जाएगी.
सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर चर्चा की जा रही है, लेकिन ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCS) के प्रमुख पद पर भी नियुक्ति की जानी है. इसलिए दो लेफ्टिनेंट जनरल को फोर स्टार के रूप में पदोन्नत किया जाएगा. सीजेसीएस सशस्त्र बलों में सर्वोच्च पद है, लेकिन सैनिकों की लामबंदी, नियुक्तियों और स्थानांतरण सहित प्रमुख शक्तियां थल सेनाध्यक्ष के पास होती हैं. इसलिए फौज में सेना प्रमुख को सबसे शक्तिशाली माना जाता है. पाकिस्तान में फौज काफी ताकतवार मानी जाती है.
पाकिस्तान को अस्तित्व में आए 75 साल हुए हैं और इस दौरान देश में आधे से ज्यादा वक्त सेना का शासन रहा है. सुरक्षा और विदेश नीति में फौज का काफी दखल रहता है. प्रधानमंत्री सबसे वरिष्ठ जनरल के नामों की सूची मिलने के बाद एक का चयन सीजेएससी के पद के लिए और दूसरे का चयन सेना प्रमुख पद के लिए करेंगे. इसके बाद वह चयन किए गए नामों की सिफारिश राष्ट्रपति से करेंगे जो देश के कानून के तहत उनकी नियुक्ति करेंगे. प्रधानमंत्री की सिफारिश राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी है, लेकिन वह नियुक्ति में कुछ वक्त के लिए देरी कर सकते हैं.
मीडिया में आई कुछ खबरों में दावा किया गया है कि राष्ट्रपति 25 दिनों तक अधिसूचना को रोक सकते हैं. हालांकि, सरकारी अधिकारी ने इन खबरों को खारिज कर दिया कि राष्ट्रपति नियुक्ति में देरी कर सकते हैं. कानून और न्याय पर प्रधानमंत्री के विशेष सहायक इरफान कादिर ने डॉन अखबार को बताया कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत निर्णय को रोक नहीं सकते हैं, क्योंकि सेना प्रमुख की नियुक्ति केवल संघीय सरकार का कार्य है, न कि राष्ट्रपति का. मौजूदा जनरल बाजवा 29 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे और पदभार दूसरे अधिकारी को सौंपने में कोई परेशानी न हो, इसके मद्देनजर फौज के नए प्रमुख को उस तारीख से पहले नियुक्त किया जाना चाहिए.
वरिष्ठता सूची के अनुसार, लेफ्टिनेंट जनरल आसीम मुनीर, लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा, लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास, लेफ्टिनेंट जनरल नोमान महमूद और लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष और सेना प्रमुख के अध्यक्ष पद के लिए दावेदार हैं. नियुक्ति प्रक्रिया में राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की भूमिका अहम हो गई है, क्योंकि मीडिया में आई कुछ खबरों में दावा किया गया है कि वह 25 दिनों तक अधिसूचना को रोक सकते हैं. विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने शनिवार को राष्ट्रपति अल्वी को सेना प्रमुख की नियुक्ति में किसी भी तरह की गड़बड़ी पैदा न करने की सलाह दी.