इस्लामाबाद/नई दिल्ली : पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शनिवार की देर रात नेशनल असेंबली में फ्लोर टेस्ट के बाद इमरान खान सत्ता से बाहर हो गए हैं. नेशनल असेंबली में उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हुए मतदान के दौरान संसद के करीब 174 सदस्यों ने विपक्ष का साथ देते हुए प्रस्ताव के पक्ष में मत दिया. पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली दफा हुआ है, जब सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद किसी प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सफल रहा. आज सोमवार को नेशनल असेंबली का विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसमें पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री का चयन होना है.
इस बीच, खबर यह भी है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई और पंजाब प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ ने पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) बिलावल भुट्टो से मुलाकात की है. कयास यह लगाया जा रहा है कि जरदारी और भुट्टो से शहबाज की मुलाकात के पीछे खुद को प्रधानमंत्री बनाए जाने के लिए अपने पक्ष में समर्थन जुटाना है. नए प्रधानमंत्री का कार्यकाल अक्टूबर 2023 तक होगा. पाकिस्तान में अक्टूबर 2023 में आम चुनाव होना है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने संसद की विशेष सत्र से पहले रविवार को पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी से मुलाकात कर देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की. शहबाज ने नए प्रधानमंत्री को चुनने के लिए संसद के महत्वपूर्ण सत्र से पहले इन दोनों नेताओं से मुलाकात की.
इमरान खान के सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने रविवार को प्रधानमंत्री पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया. बैठक के दौरान पीपीपी के नेता जरदारी ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शरीफ को बधाई दी. जियो न्यूज की खबर के अनुसार, दोनों पक्षों ने चुनाव सुधारों पर चर्चा की और जनहित में मिलकर काम करने का संकल्प लिया. इससे पूर्व नामांकन दाखिल करने से पहले शहबाज ने उन सभी का विशेष आभार जताया, जो संविधान के पक्ष में खड़े रहे.
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उधर, खबर यह भी है कि इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से हटा दिए जाने के बाद पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री एवं पीटीआई के नेता शाह महमूद कुरैशी ने भी इसी पद के लिए अपना पर्चा दाखिल किया. नेशनल असेंबली सचिवालय ने घोषणा की कि दोनों उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच की गई, जिसके बाद उन्हें स्वीकार कर लिया गया.