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चीन और IMF ने मुंह मोड़ा तो.. अमेरिका से फंडिंग की गुहार लगा रहा पाकिस्तान, सेना के लिए मांग रहा पैसा

आतंकवाद को पोषण देने वाले देश पाकिस्तान को आर्थिक मदद कहीं से भी नहीं मिल रहा. उसका सबसे भरोसेमंद दोस्त चीन भी कर्ज देने से कन्नी काट रहा है. इससे पहले सऊदी अरब के सुल्तान मोहम्मद बिन सलमान ने भी कर्ज देने से सख्ती बरत ली है.

पूरी तरह कंगाल हो चुके पाकिस्तान की हालत बद से बदतर होती जा रही है. घोर आर्थिक संकट झेल रहा पाक अब पूरी तरह विदेशी मदद पर निर्भर है. आर्थिक संकट के कारण सेना को भी अपने खर्च में कटौती करनी पड़ रही है. ऐसे में पाकिस्तान ने एक बार फिर अमेरिका के आगे हाथ फैलाया है. पाकिस्तान ने अमेरिका से मिलिट्री फंडिंग को फिर से बहाल करने की गुहार लगाई है. अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत ने कहा है यह काफी अहम होगी की अमेरिका पाकिस्तान के लिए विदेशी सैन्य वित्तपोषण को फिर से बहाल करे. गौरतलब है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फंडिंग बंद कर दी थी.

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नहीं मिल रहा पाकिस्तान को कर्ज: आतंकवाद को पोषण देने वाले देश पाकिस्तान को आर्थिक मदद कहीं से भी नहीं मिल रहा. उसका सबसे भरोसेमंद दोस्त चीन भी कर्ज देने से कन्नी काट रहा है. इससे पहले सऊदी अरब के सुल्तान मोहम्मद बिन सलमान ने भी कर्ज देने से सख्ती बरत ली है. उन्होंने कर्ज देने के मामलों में नियमों में बदलाव करते हुए कंगाल देशों से दूरी बना ली है. सऊदी अरब के कंगाल देशों को कर्ज देने के नियमों में बदलाव करने से पाकिस्तान की राहें और मुश्किल हो गई है.

पाकिस्तान-अमेरिका में बढ़ी हैं दूरियां: जगजाहिर है कि पाकिस्तान अपना सबसे बड़ा हितैषी चीन को मानता है. इधर, चीन और अमेरिका के संबंध कभी अच्छे नहीं रहे हैं. ऐसे में पाकिस्तान से भी अमेरिका की दूरी हाल के महीनों में बढ़ी है. खास कर अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान से दूरी काफी बढ़ा ली है. गौरतलब है कि आतंकवाद से लड़ाई के नाम पर पाकिस्तान को अमेरिका से अच्छी-खासी मोटी रकम मिलती थी, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने अपने कार्यकाल के दौरान फंडिंग बंद कर दी थी.

बड़ा कर्जदार है पाकिस्तान: कंगाली के द्वार पर खड़ा पाकिस्तान विश्व का एक बड़ा कर्जदार देश है. अमेरिका स्थित एक अग्रणी शोध संस्थान यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस (यूएसआईपी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान को अप्रैल 2023 से जून 2026 के बीच 77.5 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है. ऐसे में नकदी संकट से जूझ रहे देश के सामने दिवालिया होने का वास्तविक खतरा है और उसे विघटनकारी प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है.

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