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Pakistan Army Chief: जल्द खत्म हो सकती है पाकिस्तान के अगले सेना प्रमुख की तलाश, लिस्ट में ये नाम शामिल

पाकिस्तान में सेना प्रमुख की नियुक्ति काफी चर्चा में रहती है, खासकर इस शक्तिशाली पद से जुड़ी कई छिपी हुई शक्तियों के कारण। संविधान के अनुच्छेद 243(3) के अनुसार, राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सिफारिश पर सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों की नियुक्ति करता है.

By Agency | November 20, 2022 10:52 PM

पाकिस्तान में अगले सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर चल रही गहमागहमी पर जल्द ही विराम लग सकता है. पाक सरकार अगले कुछ दिनों में नये सेनाध्यक्ष के नाम की घोषणा कर सकती है.

पाकिस्तान में सेना प्रमुख की नियुक्ति पर दुनियाभर की रहती है नजर

पाकिस्तान में सेना प्रमुख की नियुक्ति काफी चर्चा में रहती है, खासकर इस शक्तिशाली पद से जुड़ी कई छिपी हुई शक्तियों के कारण। संविधान के अनुच्छेद 243(3) के अनुसार, राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सिफारिश पर सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों की नियुक्ति करता है. नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों की नियुक्ति पर किसी का उतना ध्यान नहीं जाता है, लेकिन सेना प्रमुख की नियुक्ति के मामले में ऐसा नहीं है. नये सेनाप्रमुख के नाम को लेकर अटकलों का दौर मौजूदा प्रमुख के कार्यकाल की समाप्ति से महीनों पहले शुरू हो जाता है.

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जनरल कमर जावेद बाजवा 29 नवंबर को हो रहे सेवानिवृत्त

पाकिस्तान के मौजूदा सेनाप्रमुख 61 वर्षीय जनरल कमर जावेद बाजवा 29 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. लेकिन अगस्त की शुरुआत से ही अटकलें शुरू हो गई थीं कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा. अखबार डॉन ने 16 अगस्त को शीर्ष जनरलों के बारे में एक खबर छापी थी, जिनमें से एक को जनरल बाजवा की जगह लेनी थी, जबकि दूसरे को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ (सीजेसीएस) के अध्यक्ष का पद मिलना था.

पाक सेनाप्रमुख के लिए इन नामों की चर्चा तेज

लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर : वह सबसे वरिष्ठ हैं. लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उनका चार साल का कार्यकाल जनरल बाजवा की सेवानिवृत्ति से दो दिन पहले 27 नवंबर को समाप्त होगा. वह दौड़ में हैं क्योंकि सेना प्रमुख के लिए फैसला उनकी सेवानिवृत्ति से पहले हो जाएगा. नियुक्ति होने पर उन्हें सेवा में तीन साल का विस्तार मिलेगा. शीर्ष खुफिया अधिकारी के रूप में उनका कार्यकाल अब तक का सबसे छोटा साबित हुआ, क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के आग्रह पर आठ महीने के भीतर उनकी जगह लेफ्टिनेंट-जनरल फैज हामिद को नियुक्त कर दिया गया था.

लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा : वह एक ही बैच के अन्य चार उम्मीदवारों में सबसे वरिष्ठ हैं. वह सिंध रेजीमेंट से ताल्लुक रखते हैं. वह 2013-16 से सीओएएस रहे जनरल राहील शरीफ के कार्यकाल के अंतिम दो वर्षों के दौरान महानिदेशक सैन्य अभियान (डीजीएमओ) के रूप में सुर्खियों में आए. उस भूमिका में, वह जीएचक्यू में जनरल शरीफ की कोर टीम का हिस्सा थे, जिसने उत्तरी वजीरिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और अन्य आतंकवादियों के खिलाफ सैन्य अभियान की निगरानी की थी. उन्होंने जनरल स्टाफ के प्रमुख के रूप में कार्य किया है, और उस भूमिका में वे राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी मामलों से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेने में करीबी रूप से शामिल थे. अक्टूबर 2021 में, उन्हें कोर कमांडर रावलपिंडी के रूप में तैनात किया गया था, ताकि उन्हें परिचालन अनुभव प्राप्त करने और शीर्ष पदों के लिए विचार करने योग्य बनाया जा सके। डॉन अखबार के मुताबिक, एक सैन्य सूत्र ने उनके बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि वह सीओएएस और सीजेसीएससी के दो पदों में से किसी एक के लिए स्पष्ट रूप से अग्रणी दावेदार हैं.

लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास: वह मौजूदा शीर्ष सैन्य अधिकारियों में से भारत के मामलों में सबसे अनुभवी हैं. वर्तमान में, वह जनरल स्टाफ के प्रमुख (सीजीएस) हैं, तथा जीएचक्यू में संचालन और खुफिया निदेशालय दोनों के सीधे निरीक्षण के साथ सेना को प्रभावी ढंग से चला रहे हैं. इससे पहले, उन्होंने रावलपिंडी स्थित, लेकिन कश्मीर-केंद्रित और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एक्स कोर की कमान संभाली थी, जो दर्शाता है कि उन्हें वर्तमान सेना प्रमुख का पूरा भरोसा प्राप्त है. एक्स कोर के कमांडर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान भारतीय और पाकिस्तानी सेना के बीच 2003 में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ संघर्ष विराम समझौते का सम्मान करने पर सहमति बनी थी. उन्होंने मुरी स्थित 12वीं इंफेंट्री डिवीजन की कमान भी संभाली, जहां उन पर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की जिम्मेदारी थी.

लेफ्टिनेंट जनरल नौमान अहमद : वह बलोच रेजीमेंट से आते हैं। वह वर्तमान में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष हैं। उन्हें कमांड एंड स्टाफ कॉलेज, क्वेटा में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में काम करने का भी व्यापक अनुभव है। उन्होंने आईएसआई में महानिदेशक (विश्लेषण) के रूप में कार्य किया है और राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से विदेश नीति विश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिसंबर 2019 में उन्हें पेशावर स्थित ग्यारहवीं कोर में भेजा गया था। वहां से, उन्होंने पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर सुरक्षा की कमान संभाली और जब अमेरिकी ने अपनी सेना वापस बुला ली तो वहां बाड़बंदी का जिम्मा संभाला.

लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद : वह भी बलोच रेजीमेंट से ताल्लुक रखते हैं और शीर्ष पद के प्रतियोगियों के बीच सबसे व्यापक रूप से चर्चित दावेदारों में से एक हैं. जनरल बाजवा और लेफ्टिनेंट जनरल हामिद कथित तौर पर एक-दूसरे को लंबे समय से जानते हैं. ब्रिगेडियर के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल हामिद ने जनरल बाजवा के मातहत एक्स कोर के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्य किया, जो उस समय कोर की कमान संभाल रहे थे. सेना प्रमुख के रूप में उनकी पदोन्नति के तुरंत बाद, जनरल बाजवा ने उन्हें आईएसआई में महानिदेशक (काउंटर-इंटेलिजेंस) के रूप में नियुक्त किया, जहां वह न केवल आंतरिक सुरक्षा के लिए बल्कि राजनीतिक मामलों के लिए भी जिम्मेदार थे.

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