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पकिस्तान की नई साजिश, भारत को इस्लामोफोबिया से अरब देशों में बदनाम करने की तैयारी

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लगभग 7000 ऐसे खातों की पहचान की है, जो अप्रैल 2020 में शुरू किये गए थे और जिनका संचालन पाकिस्तान से किया जा रहा था.

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लगभग 7000 ऐसे खातों की पहचान की है, जो अप्रैल 2020 में शुरू किये गए थे और जिनका संचालन पाकिस्तान से किया जा रहा था. यह रिपोर्ट इस सप्ताह सरकार को सौंप दी गयी है. एक सोशल मीडिया हैंडल ने इस बात की जानकारी दी कि भारत ने खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंधों को प्रभावित करने के उद्देश्य से एक मुहिम शुरू की थी.

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पहले ये रिपोर्ट किया था कि पाकिस्तान के द्वारा नई दिल्ली और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को सोशल मीडिया पर जनवरी और मार्च के बीच खोले गए ट्विटर खातों को टारगेट करने के लिए एक संगठित प्रयास किया है

इस सप्ताह सरकार को सौंपी गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल में खोले गए 7,000 और खातों को पाकिस्तान ने संचालित किया था.

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि उनमें से कुछ जो स्वयं को खाड़ी देशों के निवासियों या नागरिकों के रूप में बंद कर लेते हैं, ने इस्लामिक देशों में स्थानीय सोशल मीडिया में कुछ कर्षण प्राप्त किया है और खाड़ी देशों में कई लोगों का पतन भी हुआ है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक खाड़ी देश के प्रमुख राष्ट्रीय के ट्विटर हैंडल को सत्यापित किया गया है जो कश्मीर में मुसलमानों के उत्पीड़न के दावों से लिया गया था. इस खाते में एक कैप्शन के साथ एक मृत व्यक्ति की तस्वीर पोस्ट की गयी है जिसमें लिखा गया है, ‘कश्मीर में लोगों का उत्पीड़न’ है.

जब सुरक्षा अधिकारियों ने इस बात की तहकीकात कि तो पता चला है कि पोस्ट की गयी तस्वीर 14 सितंबर 2018 को जम्मू-कश्मीर के धृति गांव में 2 पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में मारे गए एक जैश आतंकवादी की थी.

तब एक ओमानी राजकुमारी द्वारा कथित रूप से एक ट्वीट किया है जिसमें देश से भारतीय श्रमिकों के निष्कासन की वकालत की गई है सैय्यदा मोना बिंट फ़हद अल सईद, ओमानी राजकुमारी जिसका नाम अव्यक्त द्वारा इस्तेमाल किया गया था, ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए बताया कि उसके ट्वीट से कोई संबंध नहीं था और वह हैंडल नकली है.

भारतीय अधिकारियों ने कहा था कि यह स्पष्ट है कि पिछले साल अगस्त में सोशल मीडिया अभियान पाकिस्तान के गहरे राज्य, इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस का आविष्कार नहीं था, लेकिन यह तब से उठा जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की भारत के खिलाफ तीखी जुबान और संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी से हुई थी.

आपको बता दें कि यह ऐसा पहला मौका था जब पीएम इमरान खान ने एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में विश्व के मुस्लिम समुदाय को कश्मीर और उसके बाहर मुसलमानों की दुर्दशा के बारे में बताने का प्रयास किया था.

यह पीएम खान और उनके विदेश मंत्रालय के बयानों में ये झलकता था कि ये उनके लिए मुख्य विषय रहा है लेकिन इस्लामाबाद के बाहर इसकी कोई पुनरावृत्ति नहीं हुई. पीएम खान ने बार-बार नागरिकता कानून में संशोधन के विरोध में एक ही बात कही थी कि ये बिल दोनों देशों के बीच तमाम द्विपक्षीय समझौतों का पूरी तरह से उल्लंघन है और खासतौर पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए चिंताजनक है.

आपको बता दें कि यह ऐसा पहला मौका था जब पीएम इमरान खान ने एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में विश्व के मुस्लिम समुदाय को कश्मीर और उसके बाहर मुसलमानों की दुर्दशा के बारे में बताने का प्रयास किया था.

यह पीएम खान और उनके विदेश मंत्रालय के बयानों में ये झलकता था कि ये उनके लिए मुख्य विषय रहा है लेकिन इस्लामाबाद के बाहर इसकी कोई पुनरावृत्ति नहीं हुई. पीएम खान ने बार-बार नागरिकता कानून में संशोधन के विरोध में एक ही बात कही थी कि ये बिल दोनों देशों के बीच तमाम द्विपक्षीय समझौतों का पूरी तरह से उल्लंघन है और खासतौर पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए चिंताजनक है.

मध्य पूर्व में काम करने वाले कुछ मुट्ठी भर भारतीयों द्वारा इस्लामोफोबिक सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में बताते हुए कुछ टिप्पणीकारों ने कहा कि इन देशों के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों की आलोचना करने के लिए आवारा ट्वीट्स का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, और इन संबंधों की असली तस्वीर बहुत अलग है.

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