नई दिल्ली : रूस-यूक्रेन विवाद का असर दुनिया के दूसरे देशों पर कितना पड़ रहा है, इसे तो अर्थशास्त्री और अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ ही बता सकते हैं, लेकिन फिलहाल इसका गहरा प्रभाव भारत पर जल्द ही दिखने वाला है. इसका कारण यह है कि रूस-यूक्रेन विवाद की वजह से अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल सात साल में पहली बार 90 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है, जिसका सीधा असर भारत के पेट्रोल पंपों पर बिकने वाले पेट्रोल-डीजल के दामों पर दिखाई देगा.
यह बात दीगर है कि सरकारी पेट्रोलियम विपणन कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ ही पेट्रोल-डीजल के दामों में इजाफा करना शुरू कर देती हैं, लेकिन जब अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल का दाम गिरता है, तो उसका फायदा आम उपभोक्ताओं को नहीं मिलता, बल्कि सरकार पेट्रोलियम कंपनियों उसे अपने खाते में डाल देती हैं.
रूस-यूक्रेन में तनाव के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल सात साल बाद 90 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचा है. 2014 के बाद पहली बार क्रूड ऑयल की कीमत इस स्तर पर पहुंची है. भारत में पांच राज्यों में फरवरी-मार्च के दौरान होने वाले विधानसभा चुनावों की वजह से पिछले 83 दिनों से पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी नहीं की गई है, लेकिन अब आशंका यह जाहिर की जा रही है कि रूस-यूक्रेन विवाद के बीच अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल के महंगा होने की वजह से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक बार फिर से बढ़ोतरी होने लगेगी.
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रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. आशंका यह जाहिर की जा रही है कि वह यूरोप के लिए ऊर्जा आपूर्ति को बाधित कर सकता है. विश्लेषकों का अनुमान है कि ओमिक्रॉन के कमजोर असर के कारण क्रूड ऑयल में कीमतों में तेजी बनी रहेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर रूस और यूक्रेन में तनाव बना रहा, तो क्रूड ऑयल के दाम आसमान पर पहुंच जाएंगे. ऐसा भी संभव है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है.