वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Union Minister Piyush goyal) ने सोमवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये जिस पैकेज पर बातचीत कर रहा है, उसमें भारत और दक्षिण अफ्रीका के पेटेंट प्रावधानों से छूट के प्रावधान को निश्चित रूप से शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे इस महामारी से निपटने में मदद मिलेगी. भारत के लिये महामारी से निपटने को लेकर कदम तबतक पूरा नहीं होगा जबतक बौद्धिक संपदा के व्यापार संबंधी पहलुओं (ट्रिप्स) में छूट का प्रावधान शामिल नहीं होता. उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में एक सत्र के दौरान महामारी और ट्रिप्स छूट से जुड़े सवाल के जवाब में यह बात कही.
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गोयल ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से भारत और दक्षिण अफ्रीका तथा पेटेंट प्रावधानों से छूट प्रस्ताव के 63 सह-प्रायोजक देशों (Co-Sponsor Countries) ने डब्ल्यूटीओ (WTO) सदस्य देशों से कोविड-19 (Covid-19) महामारी से व्यापक रूप से निपटने को लेकर टीकों के उत्पादन में तेजी, इलाज और जांच के लिये ट्रिप्स प्रावधानों में छूट प्रस्ताव को स्वीकार करने का आग्रह किया था, ताकि आपूर्ति बढ़े और सभी के लिये दवाओं तक सस्ती पहुंच सुनिश्चित हो. मंत्री ने कहा, पर अफसोस है कि ट्रिप्स परिषद में बातचीत अटक गयी है. डब्ल्यूटीओ के महामारी को लेकर उठाये जाने वाले कदमों के मसौदे में मुख्य रूप से ट्रिप्स छूट प्रस्ताव, खाद्य सुरक्षा, महामारी के समय में व्यापार को कैसे सुगम बनाया जाए, निर्यात प्रतिबंध, व्यापार उपाय, पारदर्शिता और सेवा क्षेत्र की भूमिका शामिल है.
गोयल ने कहा कि सोच-विचार कर तैयार इस दस्तावेज में जरा सी भी गड़बड़ी से महीनों से चली आ रही जटिल बातचीत का नतीजा विफल होने का खतरा होगा जिसे हम हासिल करने के करीब हैं. उन्होंने कहा कि महामारी और ट्रिप्स प्रावधानों से छूट को अंतिम रूप देने का काम एक साथ होना चाहिए. उल्लेखनीय है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका ने अक्टूबर, 2020 में कोविड-19 महामारी के इलाज और उसकी रोकथाम के संदर्भ में प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर डब्ल्यूटीओ के सभी सदस्य देशों को ट्रिप्स समझौते के कुछ प्रावधानों से छूट दिए जाने का पहला प्रस्ताव रखा था. मई, 2021 में संशोधित प्रस्ताव दिया गया था. ट्रिप्स समझौता जनवरी, 1995 में लागू हुआ. यह कॉपीराइट, औद्योगिक डिजाइन, अघोषित सूचना या व्यापार संबंधी गोपनीय जानकारी की सुरक्षा जैसे बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर किया गया बहुपक्षीय समझौता है.
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