PM मोदी ने रोटरी इंटरनेशनल कन्वेंशन को किया संबोधित,बोले- भारत ने 5 वर्षों में स्वच्छता कवरेज हासिल की

भारत औपनिवेशिक शासन से आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है. पानी बचाने के लिए भी एक नया सामूहिक आंदोलन आकार ले चुका है. यह आंदोलन आधुनिक समाधानों के साथ जल संरक्षण की हमारी सदियों पुरानी प्रथाओं से प्रेरित है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 5, 2022 10:49 PM

भारत औपनिवेशिक शासन से आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है. पानी बचाने के लिए भी एक नया सामूहिक आंदोलन आकार ले चुका है. यह आंदोलन आधुनिक समाधानों के साथ जल संरक्षण की हमारी सदियों पुरानी प्रथाओं से प्रेरित है. ये बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने पर्यावरण दिवस के मौके पर रोटरी इंटरनेशनल कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कहा. उन्होंने कहा कि भारत ने 2014 में स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया था और 5 वर्षों में पूर्ण स्वच्छता कवरेज हासिल की है.


भारत दुनिया में सबसे बड़े इकोसिस्टम में से एक 

पीएम मोदी ने कहा कि 2070 तक नेट जीरो पर भारत की प्रतिबद्धता की विश्व समुदाय ने सराहना की है. मुझे खुशी है कि रोटरी इंटरनेशनल स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता प्रदान करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि भारत में आत्मानिर्भर भारत आंदोलन आकार ले रहा है. उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भर बनाना और वैश्विक समृद्धि में योगदान देना है. भारत दुनिया में सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम में से एक है. हम भारत में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने और दूसरों के साथ साझा करने के लिए खुले हैं.

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भारत ने 5 महीने पहले किया लक्ष्य हासिल

इससे पहले पीएम मोदी ने मिट्टी बचाओ आंदोलन पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने समयसीमा से पांच महीने पहले पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया है और इससे देश में करीब 27 लाख टन कार्बन उत्सर्जन कम हुआ तथा भारत को 41,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की विदेशी मुद्रा बचत और पिछले आठ वर्षों में किसानों को 40,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की आय हुई है.

भूजल कम होने की वजह से मिट्टी को हो रही नुकसान

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में मिट्टी को जीवंत बनाए रखने के लिए निरंतर काम हुआ है और इस दौरान मिट्टी को रसायन मुक्त बनाने, मिट्टी में रहने वाले जीवों को बचाने, मिट्टी की नमी को बनाए रखने तथा उस तक जल की उपलब्धता बढ़ाने, भूजल कम होने की वजह से मिट्टी को हो रहे नुकसान को दूर करने और वनों का दायरा कम होने से मिट्टी के लगातार क्षरण को रोकने पर सरकार का ध्यान केंद्रित रहा

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