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ब्रुनेई के सुल्तान से मिले PM Modi, कहा- एक-दूसरे की भावनाओं का करते हैं सम्मान

PM Modi ने आज ब्रुनेई के प्रधानमंत्री और सुल्तान हसनल बोल्कैया से मुलाकात की.

PM Modi News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपने ब्रुनेई दौरे के दूसरे दिन सुल्तान हसनल बोल्कैया से उनके महल में मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने कहा कि हम एक दूसरे की भावनाओं का आदर करते हैं. पीएम मोदी ने इस अवसर पर सुल्तान और उनके शाही परिवार का गर्मजोशी भरे स्वागत और आतिथ्य सत्कार के लिए आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा, “मैं 140 करोड़ भारतीयों की ओर से आपको और ब्रुनेई के लोगों को स्वतंत्रता की 40वीं वर्षगांठ पर हार्दिक बधाई देता हूँ. हमारे बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंध हैं, और दोनों देशों के रिश्ते दिन-ब-दिन और मजबूत होते जा रहे हैं. 2018 में गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आपकी भारत यात्रा की यादें आज भी हम गर्व से याद करते हैं.”

पीएम मोदी ने इस बात पर खुशी जताई कि अपने तीसरे कार्यकाल में उन्हें ब्रुनेई आने का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि यह सुखद संयोग है कि दोनों देश अपनी द्विपक्षीय साझेदारी की 40वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. भारत और ब्रुनेई के संबंध निरंतर गहरे हो रहे हैं, और भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत ब्रुनेई एक महत्वपूर्ण साझेदार है, जो हमारे उज्ज्वल भविष्य की गारंटी है.

इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने सुल्तान से उनके महल में भेंट की, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा महल माना जाता है. यह महल दो मिलियन वर्ग फीट में फैला हुआ है, जिसमें 1,700 कमरे और 22 कैरेट सोने का गुंबद है. ब्रुनेई, जो बोर्नियो द्वीप पर स्थित है, क्षेत्रफल में भारतीय राज्यों सिक्किम और त्रिपुरा से छोटा है, लेकिन इसके सुल्तान की विशाल संपत्ति और लग्जरी जीवनशैली ने दुनिया भर में ध्यान आकर्षित किया है.


जानिए कौन है ब्रुनेई के सुल्तान?

ब्रुनेई के सुल्तान हसनल बोल्कैया, दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं. ब्रुनेई को 1984 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली थी, और सुल्तान हसनल बोल्कैया ने 5 अक्टूबर 1967 को ब्रुनेई के सुल्तान के रूप में सत्ता संभाली थी. वह लगभग 59 सालों से इस देश की गद्दी पर विराजमान हैं. ब्रुनेई एक मुस्लिम बहुल देश है, जहां 80 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है. हालांकि, यह अनुपात इंडोनेशिया जैसे बड़े देश की तुलना में कम है. ब्रुनेई में आजादी के बाद से विपक्ष की अनुमति नहीं दी गई है, और वहां प्रभावशाली सिविल सोसाइटी भी नहीं है. देश में अभी भी 1962 में घोषित आपातकाल लागू है.

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