PM Modi: भारत वर्चुअल प्रारूप में तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. इस सम्मेलन के जरिए वैश्विक दक्षिण के देशों को एक मंच मिलता है. इस मंच से सदस्य देश विभिन्न मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को साझा कर सकते हैं. इस शिखर सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में पीएम मोदी ने सदस्य देशों को संबोधित किया है. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “2022 में, जब भारत ने जी-20 की अध्यक्षता संभाली, तो हमने जी-20 को एक नया ढांचा देने का संकल्प लिया. वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन एक ऐसा मंच बन गया, जहां हमने विकास से जुड़ी समस्याओं और प्राथमिकताओं पर खुलकर चर्चा की. और भारत ने वैश्विक दक्षिण की आशाओं, आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं के आधार पर जी-20 एजेंडा तैयार किया.”
‘पूरी दुनिया में अनिश्चितता का माहौल’, पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने वर्तमान वैश्विक स्तिथि पर बात करते हुए कहा कि ,”आज हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब पूरी दुनिया में अनिश्चितता का माहौल है. दुनिया कोविड के प्रभाव से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई है. वहीं दूसरी ओर युद्ध की स्थितियों ने हमारी विकास यात्रा के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. हम जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना कर रहे हैं और अब स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियां भी हैं.”
Also Read: Cincinnati Open 2024: Carlos Alcaraz ‘अपने करियर के सबसे खराब मैच’ के बाद हुए बाहर
प्रधानमंत्री मोदी ने वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट को सराहा
पीएम मोदी ने वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट 2024 में उद्घाटन भाषण देते हुए कहा, “मुझे बेहद खुशी है कि भारत में आम चुनावों के बाद, मुझे फिर से इस मंच पर आप सभी से जुड़ने का अवसर मिला है. जब भारत ने जी-20 की अध्यक्षता संभाली थी, तो हमने जी-20 को एक नया रूप देने का संकल्प लिया था. वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट एक ऐसा मंच बनकर उभरा है, जहां हमने विकास से जुड़ी समस्याओं और प्राथमिकताओं पर व्यापक चर्चा की है.”
Also Read: Airport in Bihar: बिहटा एयरपोर्ट को मिले 1413 करोड़, पीएम मोदी से बिहार को मिली बड़ी सौगात
पीएम मोदी ने आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों पर भी की बात
देश और दुनियां में मानवजाति के खिलाफ व्याप्त चुनौतियों पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा “आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद हमारे समाज के लिए गहरे खतरे बन गए हैं. प्रौद्योगिकी विभाजन और प्रौद्योगिकी से उत्पन्न अन्य आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां सामने आ रही हैं.